रांची: राज्यपाल रमेश बैस (Governor Ramesh Bais) ने कहा कि कृषि (Agriculture) भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) की रीढ़ है एवं आजीविका (Livelihood) का प्रमुख स्रोत भी है।
भारत को गांवों का देश कहा जाता है और ग्रामीण क्षेत्रों (Rural Areas) में रहने वाले अधिकांश लोग कृषि कार्य (Agricultural Work) में लगे हुए हैं।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भारत को गांवों ( Villages) का देश और कृषि (Agriculture) को भारत की आत्मा कहा है। आज भारत वैश्विक स्तर पर कृषि उत्पादन (Agricultural Production ) के क्षेत्र में अग्रणी देशों में शामिल है।
किसानों को उनके खेतों की मिट्टी की जांच के लिए प्रेरित करना होगा
राज्यपाल गुरुवार को बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (Birsa Agricultural University) में आयोजित ‘बाढ़ और जलाशय अवसादन को रोकने के लिए भूदृश्य प्रबंधन’ (Landscape Management) विषयक पर आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन पर बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि हमारा देश कृषि (Agricultural) के क्षेत्र में न केवल आत्मनिर्भर (Self-Reliant ) बनने की दिशा में तेजी से अग्रसर है, बल्कि खाद्यान्न की अपनी जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ अन्य देशों को भी उपलब्ध कराने की दिशा में भी प्रयासरत हैं।
भारतीय कृषि और कृषक कैसे आत्मनिर्भर बने, इसके लिए आप सभी कृषि वैज्ञानिकों (Agricultural Scientists) को गंभीरता से सोचना होगा और फिर सक्रियता से कार्य करना होगा।
उन्होंने कहा कि आप लोगों को किसानों (Farmers) के बीच जाकर उनकी समस्याओं को सुनना और समझना होगा।
हमारे किसानों को मालूम होना चाहिए कि उनका खेत किस फसल उत्पादन (Crop Production) के लिए बेहतर और अनुकूल है, किसानों को उनके खेतों की मिट्टी की जांच (Test the Soil) के लिए प्रेरित करना होगा। उन्हें बागवानी के लिए भी प्रेरित करने की जरूरत है।
कृषि वैज्ञानिकों (Agricultural Scientists) को उन्नत बीजों (Advanced Seeds) का आविष्कार कर उन्हें खेतों तक एवं नई तकनीक विकसित (Developing New Technology) कर उन्हें किसानों तक पहुंचाने का कार्य करने की दिशा में भी सोचना होगा।
भारत में कृषि मौसम पर आधारित है, मौसमी बदलावों का कृषि पर पड़ता है बेहद असर
उन्होंने कहा कि भारत में कृषि मुख्यतः मौसम (Weather) पर आधारित है और जलवायु परिवर्तन (Climate Change) की वज़ह से होने वाले मौसमी बदलावों का कृषि पर बेहद असर पड़ता है।
जलवायु परिवर्तन (Climate Change) से हर क्षेत्र प्रभावित होता है, लेकिन दुर्भाग्यवश किसान के इसकी चपेट में आने की संभावना सबसे अधिक रहती है।
जलवायु परिवर्तन के कारण हुई तापमान में वृद्धि होने से सूखा आने से, बाढ़ एवं अन्य घटनाओं जैसे- भूस्खलन, भारी वर्षा, ओलावृष्टि और बादल फटने आदि से भी भारत में कृषि क्षेत्र (Agriculture sector) एवं जनजीवन प्रभावित (Affected) हो रहा है।
राज्यपाल ने कहा कि इस सम्मेलन में सभी विविध उत्पादन प्रणालियों (Diverse Production Systems) में संसाधन का संरक्षण, भूमि क्षरण की स्थिति, मिट्टी और जल संरक्षण, जल संसाधन विकास, एकीकृत कृषि प्रणाली और भारत सरकार की विभिन्न प्रमुख योजनाओं पर विचार-विमर्श होगा।
बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (Birsa Agricultural University) के सफल मेजबानी में यह राष्ट्रीय सम्मेलन अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने में सफल होगा। उन्होंने इस राष्ट्रीय सम्मेलन (National Convention) के आयोजन पर खुशी जताते हुए आयोजकों को बधाई दी।