लखनऊ: यूं ही नहीं कहा गया है कि दिल्ली का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर ही गुजरता है। देश में हो रहे राष्ट्रपति चुनाव (Presidential Election) में उत्तर प्रदेश से भविष्य के लिए सियासी संदेश निकला है।
2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्ष के एक मंच पर आने के सपने अब से ही धराशायी होते दिख रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) की ‘डिनर डिप्लोसी’ विपक्ष पर खूब भारी पड़ती दिखाई दी है। योगी द्वारा बिछाई गयी सियासी विसात से विपक्षी कुनबे की जड़े हिल गयी हैं।
राष्ट्रपति पद की एनडीए उम्मीदवार द्रोपदी मुर्मू शुक्रवार को लखनऊ आईं थीं। भाजपा एवं उसके सहयोगी दलों की ओर से लोकभवन में उनके लिए स्वागत समारोह आयोजित किया गया।
इस स्वागत समारोह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने द्रोपदी मुर्मू के सामाजिक राजनीतिक योगदान पर प्रकाश डालते हुए कहा कि विपक्ष शांत है।
वह भी मुर्म के नाम पर विरोध नहीं कर पा रहा है। यही नहीं, विपक्ष के कई दलों ने समर्थन का एलान किया है। उत्तर प्रदेश में भी दलीय सीमाएं टूटती नजर आ रही हैं।
लखनऊ के लोकभवन में स्वागत समारोह के कुछ ही देर बाद मुख्यमंत्री आवास पर द्रोपदी मुर्मू के सम्मान में भोज आयोजित किया गया।
पांच कालिदास मार्ग स्थित सीएम आवास पर वह दलीय सीमाएं टूटती हुईं दिखाई दीं, जिसे मुख्यमंत्री ने लोकभवन में इशारा किया था।
भाजपा, अपना दल एस, निषाद पार्टी के नेताओं के अलावा समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव के चाचा व प्रसपा के अध्यक्ष शिवपाल यादव भी पहुंचे।
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (Suheldev Bharatiya Samaj Party) के ओम प्रकाश राजभर और जनसत्ता दल के अध्यक्ष रघुराज प्रताप सिंह राजा भैया भी इस डिरन डिप्लोमेसी का हिस्सा बने।
योगी की डिनर डिप्लोमेसी ने अखिलेश यादव की सियासी परेशानी बढ़ा दी है। माना जा रहा है कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी खेमे में टूट ने अखिलेश की चिंता बढ़ा दी है।
हालांकि ओम प्रकाश राजभर के सीएम आवास पर आयोजित भोज में शामिल होने की बात से उनके बेटे अरविंद राजभर मना कर रहे हैं। अरविंद ने कहा कि पिता जी(ओपी राजभर) उस कार्यकम में मौजूद नहीं थे।
समाजवादी पार्टी पर बरसे शिवपाल यादव
शिवपाल सिंह यादव ने अखिलेश यादव पर तंज कसे हैं। उन्होंने कहा कि मैंने बहुत पहले कहा था जहां हमें बुलाया जाएगा, जो हमसे वोट मांगेगा, हम उसे वोट देंगे।
इससे पहले भी राष्ट्रपति के चुनाव हुए थे तो न तो हमें समाजवादी पार्टी ने बुलाया और न ही वोट मांगा। उस समय रामनाथ कोविंद (Ramnath Kovind) ने वोट मांगा तो हमने दिया। मुझे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बुलाये तो मैं वहां गया। द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात हुई।
प्रसपा अध्यक्ष ने कहा कि मैं मुख्यमंत्री से मिला। उन्होंने मुझसे अच्छे तरीके से बात की। हमें समाजवादी पार्टी की तरफ कभी भी किसी मीटिंग में नहीं बुलाया गया।
परसों भी यशवंत सिन्हा यहां थे, लेकिन नहीं बुलाया गया। अखिलेश यादव पर तंज कसते हुए कहा कि राजनैतिक परिपक्वता की कमी होने के कारण यह सब होता चला जा रहा है। पार्टी कमजोर हो रही है, लोग पार्टी छोड़ रहे हैं।
जब मैंने समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) से चुनाव लड़ा और जीता तो हमसे भी राय लेनी चाहिए। अगर मेरा सुझाव नहीं माना गया। अगर उन 100 प्रत्याशियों को टिकट दिया गया होता, जिनका सुझाव हमने एक साल पहले दिया था, तो आज समाजवादी पार्टी की स्थिति कुछ और होती।