नई दिल्ली: सहारा इंडिया (Sahara India) और सेबी (SEBI) के बीच चल रहे विवाद के चलते निवेश करने वालों की जमा पूंजी अभी भी खतरे में ही पड़ी हुई है। लोग जब भी अपने रुपये के लिए सहारा इंडिया के ऑफिस जाते हैं तो उन्हें वापस लौटा दिया जाता है। हालांकि सरकार की तरफ से पिछले कुछ समय से निवेशकों के पैसे वापस दिलाने के लिए कोशिशें भी चल रही हैं, लेकिन अभी तक लोगों को उसका कोई फायदा नहीं हो रहा है।
इन सभी मामलों के बीच सहारा इंडिया (Sahara India) ने अपने निवेशकों के लिए एक लेटर जारी किया है जिसमें बाजार नियामक सेबी (SEBI) पर उसके निवेशकों के 25,000 करोड़ रुपये रखने का आरोप लगाया है साथ ही उसने कहा है कि हमें बेड़ियों में जकड़ कर रखा गया है।
सहारा ने पत्र में लिखा कि वह (सहारा) भी SEBI से पीड़ित है। हमसे दौड़ने के लिए कहा जाता है लेकिन हमें बेड़ियों में जकड़ कर रखा गया है।
SEBI के तरफ़ से दलील दी जा रही है कि दस्तावेजों और रेकॉर्ड में निवेशकों का डेटा ट्रेस नहीं हो पा रहा है। जिसके कारण सहारा भी अपने निवेशकों की तरह ही सेबी से पीड़ित है।
सेबी पर आरोप
सहारा इंडिया के मामले में 4 अगस्त 2021 को आई सेबी की सालाना रिपोर्ट के अनुसार निवेशकों के करीब 129 करोड़ रुपये लौटा दिए गए हैं।
वहीं सहारा की तरफ से सेबी के खाते में 31 मार्च 2021 तक जमा कराई गई रकम ब्याज समेत करीब 23,191 करोड़ रुपये है।
अप्रैल 2018 में सेबी ने कहा था कि जुलाई 2018 के बाद सेबी किसी दावे पर विचार नहीं करेगा। ऐसे में सहारा सेबी पर आरोप लगाया जा रहा है कि उसने निवेशकों के पैसों को अपने पास रखा हुआ है।
जानिए पूरा मामला
इस मामले में 25 दिसंबर 2009 और 4 जनवरी 2010 को सेबी को दो शिकायतें मिलीं। इनमें कहा गया कि सहारा की कंपनियां वैकल्पिक पूर्ण परिवर्तनीय डिबेंचर (OFCDs) जारी कर रही है और गलत तरीके से धन जुटा रही है।
इन शिकायतों से सेबी की शंका सही साबित हुई। इसके बाद सेबी ने इन दोनों कंपनियों की जांच शुरू कर दी। सेबी ने पाया कि SIRECL और SHICL ने ओएफसीडी के जरिए दो से ढ़ाई करोड़ निवेशकों से करीब 24,000 करोड़ रुपये जुटाए हैं।
सेबी ने सहारा की इन दोनों कंपनियों को पैसा जुटाना बंद करने का आदेश दिया और कहा कि वह निवेशकों को 15 फीसदी ब्याज के साथ उनका पैसा लौटाए। समय के साथ, सुप्रीम कोर्ट और सेबी दोनों ही इस मामले को मनी लॉन्ड्रिंग की तरह लेने लगे। उन्होंने सहारा इंडिया के बैंक अकाउंट और संपत्ति को फ्रीज करना शुरू कर दिया।
26 जनवरी, 2014 को सहारा ग्रुप के चेयरमैन सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गिरफ्तार हुए। नवंबर 2017 में ईडी ने सहारा ग्रुप पर मनी लॉन्ड्रिंग का मामला चार्ज किया। इस तरह सहारा ग्रुप पूरी तरह कानून के शिकंजे में आ गया।
आइए देखते हैं वो लेटर, जो सहारा ने लिखा है…
यहां बताते चलें कि अभी तक सहारा इंडिया के निवेशकों को सेबी ने मूलधन और ब्याज समेत 138.07 करोड़ रुपये ही लौटाए हैं।
वहीं मोदी सरकार के वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में भी एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने 232.85 लाख निवेशकों से 19400.87 करोड़ रुपये और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड ने 75.14 लाख निवेशकों से 6380.50 करोड़ रुपये इक्ठ्ठे किए।
ये भी पढ़ें : सहारा इंडिया में लोगों के फंसे पैसे अब होंगे वापस, हाईकोर्ट के फैसले से बड़ी रहत
सुप्रीम कोर्ट के 31 अगस्त 2012 के आदेश और उसके बाद के आदेशों के अनुसार, सहारा इंडिया ने निवेशकों से जमा की गई 25,781.37 करोड़ की मूल राशि के मुकाबले 31 दिसंबर, 2021 तक ‘सेबी-सहारा रिफंड’ खाते में 15,503.69 करोड़ रुपये जमा किए हैं।
सहारा इंडिया के निवेशकों को कब मिलेगा उनका पैसा
सहारा इंडिया के निवेशकों को उनका पैसा कब वापस मिलेगा के सवाल के जवाब में वित्त मंत्रालय में राज्य मंत्री भागवत कराड ने कहा कि सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया ने सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉर्पोरेशन लिमिटेड और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड नाम की दो विशेष सहारा कंपनियों से संबंधित आदेश जारी किए हैं।