नई दिल्ली: केंद्र सरकार द्वारा लागू नए कृषि कानूनों के विरोध में एक तरफ देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर किसान संगठनों का आंदोलन चल रहा है तो दूसरी ओर मोदी सरकार के कृषि सुधार के समर्थक किसान संगठनों का केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मिलने और नए कानूनों का समर्थन करने का सिलसिला लगातार जारी है।
इसी कड़ी में देशभर से आए 11 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने सोमवार को कृषि मंत्री तोमर से मुलाकात कर उन्हें अपने समर्थन-पत्र सौंपे।
इस मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री तोमर ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अपना कोई निजी स्वार्थ नहीं है, उनके सामने एक सूत्रीय कार्यक्रम है देश का विकास और देश की जनता का कल्याण।
प्रधानमंत्री चाहते हैं कि देश की कृषि समृद्ध हो और अन्नदाताओं की आर्थिक स्थिति में सुधार हो।
कृषि मंत्री ने देश में खाद्यान्नों के सरप्लस भंडारण का जिक्र करते हुए आगे कहा, आज सरकार की जिम्मेदारी है कि ऐसी नीतियां बनाई जाएं, जिसमें खाद्यान्न की बर्बादी न हो , कृषि में निजी निवेश आए, किसानों का शोषण रुके, उन्हें अपनी उपज के बेहतर व लाभकारी दाम मिले, किसान महंगी फसलों एवं उन्नत कृषि की ओर अग्रसर हो सके, इंस्पेक्टर राज खत्म हो सके, किसान वैश्विक मानक के अनुसार उत्पादन करे और हमारा कृषि निर्यात बढ़े।
उन्होंने कहा कि इसीलिए कृषि क्षेत्र में सुधार आज की सबसे बड़ी जरूरत है।
तोमर ने कहा कि पूर्व की सरकारों, कृषि विशेषज्ञों, किसान संगठनों, राज्यों के मुख्यमंत्रियों-मंत्रियों द्वारा लगातार इन सुधारों के समर्थन में बात उठाई जाती रही हैं।
उन्होंने कहा, यूपीए शासनकाल में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह एवं तत्कालीन कृषि मंत्री शरद पवार भी इन सुधारों को लागू करना चाहते थे, लेकिन दुर्भाग्य से उनकी सरकार राजनीतिक दबाव व प्रभाव में ये निर्णय नहीं ले पाई।
लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सुधारों के लिए जितने भी सकारात्मक कदम उठाए गए हैं, कुछ तत्वों ने इनका विरोध किया है, जबकि इन सुधारों ने देश की तस्वीर बदलने का काम किया है।
इस तरह के तत्व किसानों के कंधे का इस्तेमाल करके अपने अपने इरादे को पूरा करने का असफल प्रयास कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि मोदी जी के नेतृत्व ऐसा कोई निर्णय नहीं हो सकता, जिससे इस देश के गांव, गरीब का नुकसान हो।
तोमर ने कहा, हमारी सरकार आंदोलनकारी किसानों से भी चर्चा कर रही है। हमारी कोशिश है कि चर्चा करके इस मामले का समाधान निकाला जाए।
देशभर से आए विभिन्न किसान संगठनों में इंडियन किसान यूनियन, नई दिल्ली, राष्ट्रीय अन्नदाता यूनियन, लखनऊ, राष्ट्रीय युवा वाहिनी लखनऊ, अखिल भारतीय बंग परिषद, नई दिल्ली, भारतीय किसान संगठन दिल्ली प्रदेश, कृषि जागरण मंच पश्चिम बंगाल, प्रगतिशील किसान क्लब हरियाणा, जे एंड के किसान काउंसिल जम्मू और कश्मीर, जे एंड के डेरी प्रोड्यूसर्स प्रोसेसर्स एंड मार्केटिंग कॉप. यूनियन लिमिटेड जम्मू, महाराष्ट्र राज्य कृषक समाज जलगांव महाराष्ट्र और भारतीय कृषक समाज गाजियाबाद के प्रतिनिधिमंडल शामिल थे।
इन संगठनों ने कृषि मंत्री को समर्थन पत्र सौंपकर नए कृषि कानूनों को वापस न लेने की मांग की। उन्होंने कहा कि ये कानून किसानों के हित में हैं।
बता दें कि आंदोलनकारी किसान संगठनों के नेता कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं।