नई दिल्ली: पिछले दस वर्षों में केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के 1205 जवानों ने घरेलू समस्याओं, बीमारी और वित्तीय समस्याओं के कारण आत्महत्या की।
लोक सभा में मंगलवार को बालू भाई धानोकर उर्फ सुरेश नारायण, केशरी देवी पटेल और कनकमल कटारा के सवाल के लिखित जवाब में राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि दस वर्षो में 1205 जवानों ने रेलू समस्याओं, बीमारी और वित्तीय समस्याओं के कारण आत्महत्या की है।
वहीं इन आत्महत्यों को रोकने के लिये सरकार ने अक्टूबर 2021 में एक ‘कार्यबल’ का गठन किया था। जिसमें दो माह बाद दिसंबर 2021 में ‘कार्यबल’ की संरचना में संशोधन किया गया था।
इसके साथ ही सरकार सीएपीएफ, असम राइफल्स (एआर) और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) के कार्य करने की परिस्थितियों में सुधार करने का सतत प्रयास कर रही है।
पिछले 10 वर्षो के दौरान आत्महत्या करने के आंकड़े
वर्ष आत्महत्या की संख्या
2012- 118
2013- 113
2014- 125
2015- 108
2016- 92
2017- 125
2018- 96
2019- 129
2020- 143
2021- 156
जवानों के लिये 11 अह्म कदम उठाये
-सीएपीएफ, असम राइफल्स (एआर) और राष्ट्री सुरक्षा गारद (एनएसजी) के जवानों के स्थानांतरण एवं अवकाश से संबंधित पारदर्शी नीतियां बनाना।
किसी जवान द्वारा कठिन क्षेत्र में सेवा करने के पश्चात यथासंभव उसकी पंसदीदा तैनाती पर विचार किया जाता है। ड्यूटी के दौरान घायल होने के कारण अस्पताल में बितायी गई अवधि को ड्यूटी मानी जाती है।
– उनकी शिकायतों का पता लगाने और उनका निराकरण करने के लिये सैनिकों के साथ अधिकारियों का नियमित संवाद।
-कार्य के घंटों को नियंत्रित करके पर्याप्त आराम एवं राहत सुनिश्चित करना।
-सैनिकों के रहन-सहन की दशाओं में सुधार करना, उन्हें पर्याप्त मनोविद/मनोरंजन, खेल, संचार की सुविधाएं प्रदान करना।
महिला कर्मचारियों की सुविधा के लिये विभिन्न प्रतिष्ठानों में क्रेच सुविधा (जहां भी व्यवहार्य हो) भी प्रदान की जाती है।
-पूर्वोत्तर के राज्यों, जम्मू एवं कश्मीर और वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्रों (राज्य की राजधानियों को छोड़कर) में तैनाती के दौरान पिछली तैनाती वाले स्थान पर (परिवार को रखने के लिये) सरकारी आवास को अपने पास रखने की सुविधा।
-बेहतर चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करना तथा साथ ही उनकी व्यक्तित एवं मनोवैज्ञानिक चिंताओं के निवारण के लिये विशेषज्ञों के साथ बातचीत का आयोजन करना और तनाव के बेहतर प्रबंधन के लिये नियमित रूप से ध्यान एवं योग का आयोजन करना।
-कठिन क्षेत्रों में तैनात टुकड़ियों को पर्याप्त प्रदान करना।
– अन्य कल्याणकारी उपाय, जैसे कि केन्द्रीय पुलिस कल्याण भंडार (केपीकेबी) की सुविधा, बच्चों के लिये छात्रवृत्ति आदि।
पूर्वोत्तर के राज्यों, जम्मू और कश्मीर तथा एलडब्ल्यूई प्रभावित क्षेत्रों में तैनात सीएपीएफ, असम राइफल्स (एआर) और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) के जवानों को हवाई कोरियर सेवा भी उपलब्ध कराई गई है।
-बेहतर पहचान तथा समाज में सम्मान देने के लिए सेवानिवृत्त हुए सीएपीएफ कार्मिकों को पूर्व-सीएपीएफ कार्मिक का नाम देना।
-सीएपीएफ, असम राइफल्स (एआर) और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) के कार्मिकों के तनाव के स्तर को कम करने के लिये, गृह मंत्रालय, सीएपीएफ, असम राइफल्स (एआर) और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड(एनएसजी) के द्वारा विभिन्न कदम उठाए गये है।
इस प्रक्रिया के भाग के रूप में सीएपीएफ, असम राइफल्स (एआर) और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) के कार्मिकों के लिये “जीने की कला” पाठ्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है, जिसका जवानों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
-जब कभी रिक्तियां उत्पन्न होती है, तब पात्र कार्मिकों को नियमित रूप से पदोन्नति दी जाती है।
रिक्तियों के अभाव में पदोन्नति न होने की स्थिति में 10,20 और 30 वर्षो की सेवा पूरी होने पर मॉडिफाइड एश्योर्ड कैरियर प्रोग्रेशन (एमएसीपी) के तहत वित्तीय लाभ प्रदान किए जाते है।