नई दिल्ली: देश में सांप्रदायिकता की निंदा करते हुए 13 विपक्षी दलों ने शनिवार को एक संयुक्त बयान जारी किया है। विपक्षी पार्टियों के नेताओं कहा कि खाने, पहनावे, धार्मिक विश्वास, पर्व त्यौहार और भाषा को लेकर ध्रुवीकरण करने का प्रयास किया जा रहा है।
इसमें ज्यादा चिंता की बात यह है कि जिस तरह की हेट स्पीच दिए जा रहे हैं, उन लोगों को सरकारी संरक्षण प्राप्त है।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) प्रमुख ममता बनर्जी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) सुप्रीमो शरद पवार, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन, झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन, राजद प्रमुख तेजस्वी यादव, सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी, सीपीआई नेता डी राजा, फॉरवर्ड ब्लॉक के देवव्रत विश्वास, आरएसपी के मनोज भट्टाचार्य, मुस्लिम लीग के पी के कुन्हालीकुट्टी और सीपीआई (एमएल) लिबरेशन के दीपांकर भट्टाचार्य ने इस संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर किए हैं।
इस संयुक्त बयान के जरिये हाल ही के दिनों में हुई सांप्रदायिक हिंसा की कड़े शब्दों में निंदा की गई है। इस बयान में समाज के सभी वर्गों से शांति बनाए रखने की अपील की गई है और धार्मिक आधार पर ध्रुवीकरण की कोशिश कर रहे लोगों के घृणित उद्देश्यों को नाकाम करने का आह्वान किया गया है।
इन दलों ने सामाजिक सौहाद्र्र के लिए सामूहिक तौर पर काम करने का संकल्प दोहराया।
विपक्षी दलों की ओर से जारी इस बयान में कहा, समाज में घृणा फैलाने और हिंसा भड़काने के मामले में प्रधानमंत्री मोदी की खामोशी हैरान करने वाली है, जो ऐसे नफरती माहौल को बढ़ावा देने वालों के खिलाफ एक भी शब्द बोलने में नाकाम रहे हैं।
उनके बयान या कामों में ऐसा कुछ नहीं दिखाई दे रहा है, जिसमें ऐसे हिंसा फैलाने वाले लोगों या संगठनों की निंदा की गई हो। यह खामोशी गवाह है कि ऐसे निजी सशस्त्र संगठनों को सत्ता का संरक्षण प्राप्त है।
विपक्षी नेताओं ने कहा, हम ऐसी नफरती विचारधारा का सामना करने और लड़ने के लिए एकजुट हैं, ये सोच समाज में खाई पैदा करने की कोशिश कर रही है।
गौरतलब है कि रामनवमी के मौके पर देश के कई राज्यों मध्य प्रदेश, गुजरात और राजस्थान में हिंसा देखने को मिली थी। मध्य प्रदेश के खरगोन जिले और गुजरात के खंभात में हिंसा के बाद सैकड़ों आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है, लेकिन इनमें बिना उचित कार्यवाही के तमाम आरोपियों के घर बुलडोजर से गिरा देने की भी आलोचना हो रही है।
दुसरी ओर महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश में मस्जिदों में लाउडस्पीकर का मुद्दा विवाद में है। बीजेपी, मनसे जैसे दल मस्जिदों में लाउडस्पीकर का विरोध कर रहे हैं और विरोध में लाउडस्पीकर पर हनुमान चालीसा का पाठ पढ़ रहे हैं। अलीगढ़, वाराणसी जैसे कुछ जिलों में जगह-जगह लाउडस्पीकर लगाए जाने की कोशिश हो रही है।
वहीं यूपी समेत पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के दौरान देश में हिजाब का मुद्दा छाया रहा, जिसकी शुरूआत कर्नाटक से हुई थी। कर्नाटक के स्कूलों में लड़कियों के लिए हिजाब पहनकर आने पर रोक लगा दी गई, कोर्ट ने इस आदेश को सही माना था, हालांकि हिजाब पर सांप्रदायिक उन्माद और घृणा का माहौल पैदा करने की कोशिश भी हुई।