पटना/बेतिया/गोपालगंज: बिहार के गोपालगंज और बेतिया जिलों में जहरीली शराब पीने से बीते 36 घंटे के दौरान 18 लोगों की मौत हो गई है।
राज्य में शराबबंदी के बावजूद इतनी बड़ी संख्या में हुई मौतों के बाद पुलिस प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है। गोपालगंज में 10 और बेतिया में आठ लोगों की मौत की पुष्टि हुई है।
अस्पतालों में अब भी गंभीर हालत में कई मरीज भर्ती हैं। कई लोगों की आंखों की रोशनी चली गयी है। नेपाल और उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे गोपालगंज जिले के मोहम्मदपुर पंचायत के मोहम्मदपुर गांव और कुशहर गांव में बीते दिन जहरीली शराब पीने से दस लोगों की मौत हुई थी। इसी प्रकार गुरुवार को बेतिया में भी आठ लोगों की मौत हुई है।
मृतकों के परिजनों ने इन मौतों का कारण जहरीली शराब बताया है। बेतिया जिले में आठ मृतकों की पहचान बच्चा यादव, महाराज यादव, हनुमंत सिंह, मुकेश पासवान, जवाहर सहनी, उमा साह, रमेश सहनी और राम प्रकाश राम के रूप में हुई है।
मौके पर पहुंचे सदर एसडीपीओ और एसडीएम ने शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। शराब बेचने वाले कारोबारियों के खिलाफ छापेमारी शुरू हो गई है।
इस मामले में महिला समेत चार लोगों को हिरासत में लिया गया है। इनकी निशानदेही पर शराब कारोबारियों के घर पर छापेमारी चल रही है। पुलिस के साथ डॉग स्क्वायड की टीम भी है।
हालांकि, गोपालगंज जिले में 10 लोगों की मौत के बाद जिला प्रशासन ने चार आरोपितों को गिरफ्तार किया था। पुलिस ने एक मृतक के घर से भी देसी शराब भी बरामद किया था।
इस बीच बिहार के भाजपा कोटे के मंत्री का अजीबोगरीब बयान सामने आया है। अपने गृह क्षेत्र से मौत की खबर मिलते ही बैकुंठपुर पहुंचे बिहार के खान एवं भूतत्व मंत्री जनक राम ने इसे विपक्ष की साजिश करार दिया है।
गृह जिले में लोगों की मौत के सवाल पर जनक राम ने कहा कि शराबबंदी कानून को विफल करने के लिए विपक्ष इस प्रकार की घटनाओं को अंजाम दे रहा है।
जनक ने कहा कि विकास के खिलाफ कुछ लोगों द्वारा कुचक्र रचा जा रहा है और बिहार सरकार को बदनाम करने के लिए ऐसी साजिश रची जा रही है।
मंत्री ने कहा कि इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए, ताकि जो कुचक्र रचने वाले लोग हैं, चाहे वह किसी स्तर का अधिकारी हो या फिर जनप्रतिनिधि उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो।
उल्लेखनीय है कि बिहार में पूर्ण शराबबंदी कानून साल 2016 के अप्रैल में ही लागू कर दिया गया था। आज इस कानून को लागू हुए पांच साल से ज्यादा वक्त हो चुका है। इसके बावजूद इस साल अबतक 15 अलग-अलग घटनाओं में जहरीली शराब से 84 लोगों की मौत हो गई है।