नई दिल्ली : भारतीय नौसेना ने फ्रांसीसी एयरोस्पेस कंपनी दसॉल्ट (French Aerospace Company Dassault) से 26 राफेल समुद्री लड़ाकू जेट (26 Rafale Marine Fighter Jet) खरीदने की योजना को अंतिम रूप दे दिया है।
इसमें से चार जेट ट्विन सीटर होंगे, जो शेष 22 सिंगल सीटर राफेल-एम लड़ाकू जेट (Rafale-M fighter jet) को संचालित करने के लिए लड़ाकू पायलटों को प्रशिक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। इसके लिए नौसेना ने गोवा में आईएनएस हंसा पर प्रशिक्षण स्क्वाड्रन की स्थापना करने का फैसला लिया है।
भारत के पहले स्वदेशी विमानवाहक INS विक्रांत से संचालित करने के लिए भारतीय नौसेना ने अमेरिकी जेट F/A-18 सुपर हॉर्नेट को खारिज करके राफेल-एम का चयन किया है।
इससे पहले भारतीय वायु सेना ने दो लड़ाकू स्क्वाड्रन (36 विमान) के लिए राफेल को चुना था, अब भारतीय नौसेना राफेल-एम का सौदा करने के लिए तैयार है।
भारतीय नौसेना की परिचालन तत्परता और युद्ध क्षमताओं के लिए इसे एक उल्लेखनीय कदम माना जा रहा है। राफेल-एम का इस्तेमाल ग्रीस, इंडोनेशिया और यूएई की नौसेनाएं भी कर रही हैं।
राफेल बनाने वाली कंपनी दसॉल्ट एविएशन को भरोसा है कि राफेल-एम भारतीय नौसेना के युद्धपोत आईएनएस विक्रांत के लिए उपयुक्त होगा। चार ट्विन सीटर राफेल जेट खरीदने का निर्णय भारतीय नौसेना के उन्नत लड़ाकू विमानों के बेड़े को बढ़ाने और अत्यधिक कुशल और कुशल पायलट बल बनाए रखने के प्रयासों का हिस्सा है।
नौसैनिक हवाई स्टेशन INS हंसा को राफेल प्रशिक्षण स्क्वाड्रन के लिए चुना गया
राफेल के ट्विन सीटर संस्करण को प्रभावी प्रशिक्षण देने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो लड़ाकू पायलटों को व्यावहारिक अनुभव देने के साथ ही उनकी अनुभवी एविएटर्स क्षमताओं को भी बढ़ाएगा।
नौसेना के एक अधिकारी के मुताबिक गोवा स्थित प्रमुख नौसैनिक हवाई स्टेशन INS हंसा को राफेल प्रशिक्षण स्क्वाड्रन के लिए चुना गया है। गोवा में डैबोलिम के निकट स्थित यह भारत का सबसे विशाल नौसैनिक स्टेशन है। इस नौसैनिक अड्डे के परिसर में नागरिक परिक्षेत्र भी है, जहां से डैबोलिम हवाई अड्डे का संचालन होता है।
यहां 2,000 से ज्यादा सैनिक और 1,000 नागरिक हैं
अब इस नौसेना केंद्र पर मिग 29-के के दो सीटों वाले प्रशिक्षु विमानों मिग-29 केयूबी का बेड़ा रहता है। यहां 2,000 से ज्यादा सैनिक और 1,000 नागरिक रहते हैं। यह नौसेना के 8 भारतीय नौसैनिक वायु स्क्वाड्रनों का हेडक्वार्टर भी है।
जानकार अधिकारी के मुताबिक़ सिंगल सीटर राफेल-एम वैरिएंट के लड़ाकू पायलटों को प्रशिक्षित करने में इनकी भूमिका महत्वपूर्ण होगी, क्योंकि ट्विन सीटर राफेल जेट अत्याधुनिक एवियोनिक्स और सिमुलेटर से लैस होंगे।
यह प्रशिक्षण के दौरान पायलटों को विभिन्न युद्ध परिदृश्यों के लिए सक्षम बनाएगा, जिससे वे आधुनिक हवाई युद्ध की चुनौतियों का सामना करने के लिए अच्छी तरह से तैयार हो सकेंगे।
ट्विन सीटर राफेल विक्रांत (Twin Seater Rafale Vikrant) के बड़े में शामिल नहीं होंगे, क्योंकि इनमें विमानवाहक पोत से संचालन के लिए आवश्यक हवाई जहाज़ के पहिये और टेल हुक का अभाव है।