रांची: झारखंड के ढाई लाख से भी ज्यादा लोगों के तीन हजार करोड़ रुपये सहारा इंडिया की (Sahara India) विभिन्न योजनाओं में फंस गए हैं।
जमा योजनाओं की पॉलिसी परिपक्व होने के बाद भी लगभग दो वर्ष से भुगतान पूरी तरह बंद है। राज्य के अलग-अलग इलाकों में स्थित सहारा के दफ्तरों में हर रोज बड़ी तादाद में पॉलिसी की राशि के भुगतान की मांग लेकर पहुंच रहे हैं लेकिन उन्हें मायूस होकर लौटना पड़ रहा है।
शाखाओं के प्रबंधकों और कर्मियों के पास कोई जवाब नहीं
रांची, हजारीबाग, रामगढ़, बेरमो, बोकारो, धनबाद, जमशेदपुर सहित कई जिलों में निवेश करने वाले लोगों ने सहारा के दफ्तरों के बाहर प्रदर्शन भी किया है।
इन शाखाओं के प्रबंधकों और (Branch Managers) कर्मियों के पास कोई जवाब नहीं है। कंपनी के लिए काम करने वाले 60 हजार से भी ज्यादा कर्मी भी हर रोज हो रहे हंगामे से परेशान हैं।
निवेशकों का कहना है मैच्योरिटी की राशि का भुगतान न (Investors say That The Maturity Amount Is Not Paid) होने से किसी का इलाज के अभाव में निधन हो गया तो किसी के बच्चों की पढ़ाई से लेकर शादी तक रुक गई।
लाख रुपये फंसे हैं और वह दो साल से परेशान हैं
भुगतभोगी बोकारो जिले के बेरमो के रामदास साव का कहना है कि अपने जीवन की पूरी कमाई 20 लाख रुपये सहारा इंडिया में (Sahara India) जमा किए लेकिन उन्हें MIS तक का भुगतान नहीं किया जा रहा है।
हजारीबाग के शिवपुरी निवासी संतोष कुमार के एक लाख रुपये फंसे हैं और वह दो साल से परेशान हैं।
ब्याज तक की रकम नहीं दी जा रही है
बेरमो के बबलू गुप्ता और उनकी पत्नी राजकुमारी भारती का कहना है कि पैसे न मिलने की वजह से उन्हें अपनी बेटी का विवाह स्थगित करना पड़ा।
इसी तरह प्रदीप कुमार भगत ने भी 21 लाख रुपये जमा किए हैं लेकिन उन्हें ब्याज तक की रकम नहीं दी जा रही है। (Interest Is Not Being Paid) कुछ महीने पहले बोकारो जिले के गोमिया में सहारा इंडिया के एक एजेंट ने निवेशकों के दबाव से परेशान होकर खुदकुशी कर ली थी।
अगस्त महीने में सरकार ने लोकसभा में यह जानकारी दी थी
सहारा इंडिया में (Sahara India) पैसा लगाने वालों की संख्या करोड़ो में है। केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री (Minister of State for Finance) पंकज चौधरी ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया था कि सहारा समूह की विभिन्न इकाइयों में करीब 13 करोड़ निवेशकों के 1.12 लाख करोड़ रुपये के फंसे हुए हैं।
साथ मिलकर इसकी जांच में मदद करेगा
उल्लेखनीय है कि झारखंड विधानसभा के बजट सत्र में विधायक नवीन जायसवाल ने नॉन-बैंकिंग कंपनियों में (Non-Banking Companies) झारखंड के लोगों के लगभग 2500 करोड़ फंसे होने का मामला उठाया था।
उन्होंने कहा था कि तीन लाख लोग अपने पैसों को लेकर चिंता में हैं। इस पर जवाब देते हुए सरकार ने कहा था कि नॉनबैंकिंग कंपनियों की (Non-Banking Companies) वादाखिलाफी और भुगतान संबंधी शिकायतों के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किया जा रहा है।
कहा गया कि लोग हेल्पलाइन नंबर 112 पर शिकायत दर्ज करा सकते हैं। वित्त मंत्री (Finance Minister) रामेश्वर उरांव के मुताबिक वित्त विभाग इन शिकायतों के आधार पर CID (आर्थिक अपराध शाखा, झारखंड) के साथ मिलकर इसकी जांच में मदद करेगा।