352 Posts of Judges are Vacant in High Court: देश के दक्षिणी राज्यों में High Court में जजों के खाली पद (Vacant Posts of Judges) कम ही हैं, जबकि उत्तर और पश्चिम भारत की हाईकोर्ट में यह आंकड़ा चिंताजनक है।
एक विश्लेषण से पता चलता है कि दक्षिणी राज्यों के हाईकोर्ट ने जजों के रिक्त पदों को कम करने में अन्य राज्यों से अच्छा प्रदर्शन किया है।
केरल हाईकोर्ट (Kerala High Court) में 1 नवंबर तक जजों के खाली पद सिर्फ 4फीसदी रह गए हैं, जो कि देश की सभी प्रमुख हाईकोर्ट में सबसे कम है। मद्रास हाईकोर्ट ने रिक्त पदों को 11फीसदी और कर्नाटक हाईकोर्ट ने 19फीसदी तक कम कर लिया है।
इसके विपरीत, यूपी के इलाहाबाद हाईकोर्ट में जजों के 49फीसदी पद खाली हैं, जो देश की सभी 25 हाईकोर्ट में सबसे ज्यादा है। उड़ीसा, कलकत्ता, पंजाब और हरियाणा जैसे अन्य हाईकोर्ट में भी खाली पदों की स्थिति गंभीर है। जजों के खाली पदों की समस्या कई कारणों से जटिल हो गई है।
138 पदों के लिए हाईकोर्ट कॉलेजियम से कोई सिफारिश नहीं मिली
प्रमुख कारणों में योग्य उम्मीदवारों की कमी और हाईकोर्ट में नियुक्ति के लिए वकीलों की रुचि में कमी शामिल हैं। हाईकोर्ट में नियुक्ति से संबंधित वेतन और लाभ अक्सर प्रतिष्ठित वकीलों को आकर्षित करने में विफल होते हैं।
इसके अतिरिक्त, दक्षिणी राज्यों हाईकोर्ट में कॉलेजियम द्वारा समय पर सिफारिशें करना भी एक बड़ा कारण है जिससे इन राज्यों ने रिक्त पदों को नियंत्रित करने में सफलता पाई है। नियमों के मुताबिक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को किसी पद के खाली होने से छह माह पहले सिफारिश करनी होती हैं लेकिन यह प्रक्रिया समय पर पूरी नहीं होती है, जिससे रिक्त पद बने रहते हैं।
संसद में दिए गए जवाब के मुताबिक 19 जुलाई तक सरकार को 219 सिफारिशें मिली थीं, जबकि 357 पद खाली थे। इसके अतिरिक्त, 138 पदों के लिए हाईकोर्ट कॉलेजियम से कोई सिफारिश नहीं मिली। 1 नवंबर 2024 तक देश की 25 हाईकोर्ट में 352 जजों के पद खाली थे, जो स्वीकृत क्षमता 1,114 का 32फीसदी है। सरकार और न्यायपालिका के बीच इस मुद्दे का समाधान ढूंढने का प्रयास जारी हैं ताकि न्यायिक प्रक्रिया में तेजी लाई जा सके और लंबित मामलों को जल्द निपटाया जा सके।