नई दिल्ली: प्रदर्शनकारी किसानों से मिलने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल रविवार शाम दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पहुंचे। किसानों के बीच पहुंचकर मुख्यमंत्री ने केंद्रीय कृषि कानूनों को काला कानून कहा।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के मुताबिक कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों की यह आंदोलन अब आर-पार की लड़ाई हो चुका है।
सिंघु बॉर्डर पहुंचकर मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा, किसान अपनी खेती बचाने के लिए कड़ाके की ठंड में बैठे हैं।
भाजपा का एक भी मंत्री और नेता नहीं है, जो इन कानूनों के फायदे बता सके।
किसानों से जमीन छीनकर पूंजीपति दोस्तों को देने के लिए ये काले कानून लाए गए हैं।
गुरु गोविंद सिंह के चार बेटों एवं माता जी की शहादत दिवस पर उन्हें याद करने के लिए सिंघु बॉर्डर पर दिल्ली सरकार की पंजाब एकेडमी ने कीर्तन दरबार आयोजित किया था।
सीएम अरविंद केजरीवाल इस कार्यक्रम में शामिल हुए। उन्होंने ने कहा कि हम सब लोग गुरु गोविंद सिंह जी के साहिबजादों और माता जी की शहादत को नमन करने के लिए इकट्ठे हुए हैं।
सीएम ने कहा कि पिछले 32 दिनों से खुले आसमान के नीचे सड़क पर सोने को मजबूर हैं।
अभी तक यहां पर 40 से ज्यादा लोगों की शहादत हो चुकी है।
केजरीवाल ने कहा, इस मंच के जरिए इतने पवित्र स्थान से मैं हाथ जोड़कर केंद्र सरकार से अपील करता हूं ये तीनों काले कानून वापस ले लो। आज किसानों को आतंकवादी, राष्ट्रद्रोही कहा जा रहा है।
किसान आतंकवादी, राष्ट्रद्रोही हो गए, तो तुम्हार पेट कौन भरेगा? तुमको रोटी कौन देगा?
उन्होंने कहा कि ये बड़े-बड़े नेता आते हैं, और कहते हैं कि इससे किसानों की जमीन नहीं जाएगी। जमीन तो आज भी किसानों के पास ही है। कहते हैं कि एमएसपी नहीं जाएगी, एमएसपी अभी भी तो है।
मंडी नहीं जाएगी। तब आखिर कानून क्यों लाए हो? कानून को फाड़कर फेंक दो।
किसानों को कोई फायदा नहीं बता पा रहे। बड़े नेता कह रहे हैं कि कानून से कोई नुकसान नहीं होगा।
किसानों का कोई नुकसान नहीं होगा, पर फायदा क्या होगा और फायदा होगा किसका।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आज पूरा देश दो भागों में बंटा हुआ है।
एक वे कुछ लोग हैं, जो इन करोड़ों किसानों का नुकसान करके कुछ पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाना चाहते हैं और दूसरे वे लोग हैं, जो इन करोड़ों किसानों के साथ खड़े हैं।
उन्होंने कहा, एक ये लोग यह आरोप लगा रहे हैं कि किसानों को गुमराह किया जा रहा है।
मैं आज यहां से चुनौती देता हूं कि केंद्र सरकार अपने सबसे बड़े नेता, जिसको इन कानूनों के बारे में पता है, वो आ जाए और हमारे किसानों के नेता आ जाएं।
दोनों जनता के बीच में बहस कर लें। दोनों में से किसको ज्यादा जानकारी है, पता चल जाएगा।