Domestic Disputes: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने वैवाहिक मतभेदों से उत्पन्न घरेलू विवादों में पति और उसके घर वालों को IPC धारा 498-A. में फंसाने की बढ़ती प्रवृत्ति पर गंभीर चिंता जताई।
जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने मंगलवार को ऐसा ही एक मामला खारिज करते हुए कहा कि धारा 498-A (घरेलू प्रताड़ना) पति और उसके परिजनों के लिए हिसाब बराबर करने का हथियार बन गई है।
शीर्ष कोर्ट ने यह टिप्पणी तेलंगाना से जुड़े एक मामले में की। दरअसल, एक पति ने पत्नी से तलाक मांगा था। इसके खिलाफ पत्नी ने पति और ससुराल वालों के खिलाफ घरेलू क्रूरता का केस (Domestic Cruelty Case) दर्ज करा दिया।
कोर्ट ने केस रद्द कर दिया
पति इसके खिलाफ तेलंगाना हाई कोर्ट (Telangana High Court) गया, लेकिन कोर्ट ने उसके खिलाफ दर्ज केस रद्द करने से इनकार कर दिया। इसके बाद पति ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली।
शीर्ष अदालत ने विस्तृत सुनवाई के बाद कहा कि हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के खिलाफ दर्ज केस रद्द न करके गंभीर गलती की है। फिर कोर्ट ने केस रद्द कर दिया।
बता दें कि पिछले महीने भी शीर्ष अदालत ने सभी कोर्ट को चेतावनी दी थी कि वे यह सुनिश्चित करें कि घरेलू क्रूरता के मामलों में पति के दूर के रिश्तेदारों को अनावश्यक रूप से न फंसाया जाए।