नई दिल्ली: वस्तु सेवा कर यानि GST को लागू हुए पांच साल से अधिक का वक्त बीत चुका है, लेकिन इससे जुड़े कई विवाद अब भी फाइनल डिसीजन का इंतजार कर रहे हैं।
ऐसे ही एक विवाद में करीब 20 महीने बाद अंतिम निर्णय आया, जिसमें रोटी पर 5 फीसदी तो परांठे पर 18 फीसदी GST लगाने का फैसला किया गया है।
Frozen परांठे और रोटी में इस्तेमाल होने वाले उत्पादों में काफी अंतर
दरअसल, गुजरात अपीलेट अथॉरिटी फॉर एडवांस रूलिंग (Gujarat Appellate Authority for Advance Ruling) ने वाडीलाल इंडस्ट्रीज लिमिटेड (Vadilal Industries Limited) के एक विवाद पर 20 महीने बाद यह फैसला सुनाया है।
प्राधिकरण ने कहा, फ्रोजेन परांठे (Frozen Parathas) और रोटी में इस्तेमाल होने वाले उत्पादों में काफी अंतर है, लिहाजा इस पर GST की दरें अलग-अलग होनी चाहिए।
इससे पहले वाडीलाल इंडस्ट्रीज (Vadilal Industries) ने भी इसी दावे के साथ पराठे पर 18 फीसदी GST लगाने की मांग की थी।
महाराष्ट्र की अथॉरिटी ऑफ एडवांस रूलिंग ने भी साल 2018 में एक फैसले में कहा था कि देश में रोटी या चपाती को अलग-अलग नाम से जाना जाता है, लेकिन इसका नाम बदल जाने भर से इस पर GST अलग-अलग दरें नहीं लगा सकते।
20 महीने की लंबी लड़ाई
विवाद के दौरान कारोबारियों ने दलील दी थी कि रोटी और परांठे में इस्तेमाल होने वाला मुख्य उत्पाद आटा (Flour) ही है, लेकिन 20 महीने की लंबी लड़ाई के बाद फैसला उत्पादक कंपनी वाडीलाल (Vadilal) के पक्ष में गया।
गुजरात अपीलेट अथॉरिटी फॉर एडवांस रूलिंग ने अपने फैसले में कहा, रोटी और फ्रोजेन परांठे में स्पष्ट अंतर है। यह फैसला गुजरात अथॉरिटी फॉर एडवांस रूलिंग के फैसले को ही बरकरार रखता है, जिसमें जून 2021 में कहा गया था कि पैकेज्ड परांठे (Packaged Parathas) को पकाने में 3-4 मिनट का समय लगता है, जब तक कि यह दोनों तरफ से गोल्डन ब्राउन नहीं हो जाता।
इसके अलावा परांठे में आटे की मात्रा 36 से 62 फीसदी के बीच रहती है, जो रोटी से एकदम अलग है।
GST की दर भी अलग-अलग होनी चाहिए
अहमदाबाद (Ahmedabad) की कंपी वाडीलाल इंडस्ट्रीज ने एएआर (AAR) में अपील कर कहा था कि वह आठ तरह के परांठों की सप्लाई करती है, जिसमें मालाबार, मिक्स्ड वेजिटेबल, ओनियन, मेथी, आलू, लच्छा, मूली और प्लेन परांठा शामिल है।
लिहाजा इसे प्लेन चपाती या रोटी की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता और इस पर जीएसटी (GST) की दर भी अलग होनी चाहिए। कंपनी और कारोबारियों के बीच चले इस विवाद का अब अंत हो गया है।
टैक्स अथॉरिटी और कई उत्पादकों के बीच विवाद चल रहा
दरअसल, रोटी और पैकेज्ड परांठे का विवाद सिर्फ अकेला नहीं है जो जीएसटी को लेकर भ्रम पैदा करता है।
इसके अलावा भी कई अन्य उत्पादों पर जीएसटी को लेकर टैक्स अथॉरिटी (Tax Authority) और उत्पादकों के बीच विवाद चल रहा है।
इसमें मैरिको के पैराशूट तेल (Parachute Oil) शामिल हैं, जिस पर यह सहमति नहीं बन पा रही कि ये हेयर ऑयल (Hair Oil) हैं या फिर सिर्फ नारियल तेल।
नेशले किटकैट (Nestle KitKat) बिस्कुट है या चॉकलेट और डाबर लाल दंत मंजन (Dabur Lal Dant Manjan) टूथ पाउडर है या मेडिसिनल ड्रग। इसका क्लासीफिकेशन होने के बाद ही GST लगाने का सही फैसला लिया जा सकता है।