Parkash Singh Badal Death: पंजाब (Punjab) की सियासत को अगर किताब के पन्नों पर उतारा जाएगा तो प्रकाश सिंह बादल का नाम लिखे बिना इसे पूरा नहीं माना जाएगा।
पंजाब के 5 बार मुख्यमंत्री रहे प्रकाश सिंह बादल (Parkash Singh Badal) का मंगलवार (25 अप्रैल) को एक निजी अस्पताल में निधन हो गया।
प्रकाश सिंह बादल जीवन या राजनीति के क्षेत्र में आसानी से हार मानने वालों में से नहीं थे।
बीते साल ही शिरोमणि अकाली दल (SAD) ने विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) के लिए पंजाब के मुक्तसर जिले में लंबी सीट से उन्हें उम्मीदवार बनाया था।
हालांकि, इस विधानसभा चुनाव में प्रकाश सिंह बादल को पंजाब की राजनीति में पहली बार सत्ता में आने वाली आम आदमी पार्टी (AAP) के प्रत्याशी से करारी हार मिली थी।
प्रकाश सिंह बादल यह चुनाव भले हार गए थे, लेकिन देश में चुनाव लड़ने वाले सबसे उम्रदराज व्यक्ति होने के नाते रिकॉर्ड बुक (Record Book) में उनका नाम दर्ज हो गया।
बठिंडा जिले के बादल गांव के सरपंच बनने के साथ शुरू हुए लंबे राजनीतिक करियर में यह उनकी 13वीं चुनावी लड़ाई थी। वह 95 वर्ष के थे।
5 बार रहे पंजाब के CM
पंजाब की राजनीति के दिग्गज नेता बादल पहली बार 1970 में मुख्यमंत्री बने और उन्होंने एक गठबंधन सरकार का नेतृत्व किया, जिसने अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया।
इसके बाद वह 1977-80, 1997-2002, 2007-12 और 2012-2017 में भी राज्य के मुख्यमंत्री रहे।
अपने राजनीतिक जीवन के आखिरी दौर में बादल ने अकाली दल की बागडोर बेटे सुखबीर सिंह बादल (Sukhbir Singh Badal) को सौंप दी, जो उनके अधीन पंजाब के उपमुख्यमंत्री भी बने।
कांग्रेस के टिकट पर लड़ा पहला चुनाव
प्रकाश सिंह बादल का जन्म आठ दिसंबर 1927 को पंजाब के बठिंडा के अबुल खुराना गांव में हुआ था।
बादल ने लाहौर के फॉरमैन क्रिश्चियन कॉलेज (Forman Christian College) से स्नातक किया।
उन्होंने 1957 में कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में मलोट से पंजाब विधानसभा में प्रवेश किया।
1969 में उन्होंने अकाली दल के टिकट पर गिद्दड़बाहा विधानसभा सीट (Gidderbaha Assembly Seat) से जीत हासिल की।
बादल को 1970 में अकाली दल ने चुना अपना नेता
जब Punjab के तत्कालीन मुख्यमंत्री गुरनाम सिंह ने कांग्रेस का दामन थामा तो अकाली दल फिर से संगठित हो गया।
अकाली दल ने 27 मार्च, 1970 को बादल को अपना नेता चुना। इसके बाद अकाली दल ने जनसंघ के समर्थन से राज्य में सरकार बनाई।
वह तब देश के सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री बने। यह बात दीगर है कि यह गठबंधन सरकार एक वर्ष से थोड़ा अधिक चली।
किसानों के हितों पर की राजनीति
वर्ष 1972 में बादल सदन में विपक्ष के नेता बने, लेकिन बाद में फिर से मुख्यमंत्री बने। बादल के नेतृत्व वाली सरकारों ने किसानों के हितों पर अपना ध्यान केंद्रित किया।
उनकी सरकार के महत्वपूर्ण निर्णयों में कृषि के लिए मुफ्त बिजली (Free Electricity) देने का निर्णय भी शामिल था।
SYL नहर का किया विरोध
अकाली दल के नेता प्रकाश सिंह बादल ने सतलुज यमुना लिंक (SYL) नहर के विचार का कड़ा विरोध किया, जिसका उद्देश्य पड़ोसी राज्य हरियाणा के साथ नदी के पानी को साझा करना था।
इस परियोजना को लेकर एक आंदोलन का नेतृत्व करने के लिए 1982 में उन्हें गिरफ्तार किया गया था। यह परियोजना पंजाब के निरंतर विरोध के कारण अभी तक लागू नहीं हो सका है।
नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन को लेकर BJP से तोड़ा नाता
उनके नेतृत्व में राज्य विधानसभा ने विवादास्पद पंजाब सतलुज यमुना लिंक नहर (स्वामित्व अधिकारों का हस्तांतरण) विधेयक, 2016 पारित किया।
यह विधेयक परियोजना पर तब तक की प्रगति को उलटने के लिए था। उनकी पार्टी ने 2020 में केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन को लेकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) से अपना नाता तोड़ लिया।
प्रकाश सिंह बादल की पत्नी सुरिंदर कौर बादल (Surinder Kaur Badal) की 2011 में कैंसर से मौत हो गई थी।
उनका बेटा सुखबीर सिंह बादल और बहू हरसिमरत कौर बादल दोनों ही राजनीति में सक्रिय हैं।