चंडीगढ़: माफिया डॉन मुख्तार अंसारी (Mafia Don Mukhtar Ansari) को पंजाब की जेल में ही रखे जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चली कानूनी लड़ाई के लिए पंजाब सरकार ने वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे (Dushyant Dave) को अपनी पैरवी के लिए लगाया था।
अब उनकी 55 लाख रुपए की फीस का बिल मुख्यमंत्री भगवंत मान (Bhagwant Mann) की सरकार की गले की हड्डी बन गया है। एक रिपोर्ट में बताया गया कि हाल ही में भगवंत मान के पास पहुंचने से पहले दुष्यंत दवे की कानूनी फीस से संबंधित फाइल कई विभागों के चक्कर लगा चुकी है, मगर किसी ने उसे पास नहीं किया।
मान ने खुद पिछली कांग्रेस सरकार (Congress Government) पर रोपड़ जेल में उत्तर प्रदेश के गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी को VIP सुविधाएं देने का आरोप लगाया।
किसी ने भी फाइल को मंजूरी देने का फैसला नहीं लिया
पंजाब के सीएम भगवंत मान ने कहा कि उस समय के मंत्रियों से कानूनी फीस के 55 लाख रुपए की वसूली के लिए कानूनी राय मांगी गई है।
पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के कार्यकाल में कानूनी फीस की फाइल तत्कालीन एडवोकेट जनरल डीएस पटवालिया (DS Patwalia) के ऑफिस से सचिव (जेल) डीके तिवारी के पास चली गई थी। इसे तत्कालीन उपमुख्यमंत्री और जेल मंत्री सुखजिंदर रंधावा को भी भेजा गया था।
फिर इसे तत्कालीन मुख्य सचिव अनिरुद्ध तिवारी के कार्यालय के साथ-साथ केएपी सिन्हा के तहत वित्त विभाग को भी भेजा गया था।
हालांकि किसी ने भी फाइल को मंजूरी देने का फैसला नहीं लिया। आखिरकार पिछले साल 31 जनवरी को इस फाइल को अधीक्षक जेल को भेज दिया गया।
बिल एक साल बाद जनवरी 2022 में मंजूरी के लिए आया था
8 जनवरी को आदर्श आचार संहिता लागू होने के हफ्तों बाद इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। बहरहाल सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में पंजाब सरकार का प्रतिनिधित्व करने के लिए दवे को शामिल करने की मंजूरी पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (Captain Amarinder Singh) ने 1 जनवरी, 2021 को दी थी।
जबकि उनका बिल एक साल बाद जनवरी 2022 में मंजूरी के लिए आया था। तब तक चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjit Singh Channi) राज्य के मुख्यमंत्री बन चुके थे। भगवंत मान ने अब साफ कहा है कि वह करदाताओं के पैसे से मुख्तार अंसारी के मामले के कानूनी बिल का भुगतान नहीं करेंगे।