नई दिल्ली: वैट और जीएसटी डिपार्टमेंट के छह डाटा एंट्री ऑपरेटरों ने जीएसटी डिपार्टमेंट को 200 करोड़ से अधिक का चूना लगा दिया।
इन लोगों ने दूसरे लोगों का आधार और पैन इस्तेमाल कर फर्जी कंपनियां बनाकर 1000 हजार करोड़ से अधिक की लेनदेन कर ली।
साइबर क्राइम यूनिट को इसकी शिकायत मिली तो पुलिस ने इस हेराफेरी से पर्दा उठा दिया।
पुलिस ने सभी छह आरोपित शैलेश कुमार (29), संदीप सिंह नेगी (30), विवेक कुमार (42), हरीश चंद गिरीश (45), गौरव रावत (33) और मनोज कुमार (41) को गिरफ्तार कर लिया। आरोपित वैट और जीएसटी डिपार्टमेंट में होने की वजह से अच्छी तरह जानते थे कि कैसे जीएसटी डिपार्टमेंट को चूना लगाया जा सकता है।
इन लोगों ने फर्जी कंपनियों में लेनेदेन टैक्स चोरी करने के अलावा कई सौ करोड़ का रिफंड भी जीएसटी डिपार्टमेंट से ले लिया।
पुलिस पकड़े गए आरोपितों से पूछताछ कर मामले की जांच कर रही है।
साइबर सेल के पुलिस उपायुक्त अनीश रॉय ने बताया कि पिछले दिनों उनकी टीम को एक कारोबारी ने शिकायत दी थी।
पीड़ित ने अपनी शिकायत में बताया कि उनके पैन और आधार नंबर पर किसी ने तीन फर्जी कंपनी बनाकर जीएसटी नंबर लिया हुआ है। इन तीनों कंपनी के जरिये तीन कंपनियों ने 119 करोड़ की लेनदेन की हुई थी।
इन सभी लेनदेन में टैक्स की चोरी भी हुई थी। फौरन साइबर क्राइम यूनिट ने मामला दर्ज कर एसीपी रमन लांबा, इंस्पेक्टर कुलदीप शर्मा, संजीव सोलंकी, अरुण त्यागी व अन्यों की टीम ने छानबीन शुरू कर दी।
पुलिस ने जांच की तो पता चला कि इन तीनों फर्जी कंपनी मनीष ट्रेडिंग कंपनी, गैलेक्सी इंटरनेशनल और एबीएम इंटरप्राइजेज से 81 कंपनियों ने लेनदेन की थी।
उन तीन फर्जी कंपनियों के ईमेल एड्रेस और फोन नंबर की जांच की तो पता चला कि तीनों के फोन नंबर और ईमेल एड्रेस एक ही हैं। इसी नंबर और ईमेल एड्रेस से 227 और फर्जी कंपनियों के रजिस्टर्ड होने का पता चला।
जांच के बाद पुलिस ने सबसे पहले शैलेश कुमार को दबोचा। वह जीएसटी डिपार्टमेंट में कांट्रेक्ट पर डाटा एंट्री ऑपरेट था।
उससे पूछताछ के बाद पुलिस ने एक-एक कर पांच और आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया। जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि गौरव रावत इस सारे गोरखधंधे का मास्टर माइंड है।
पुलिस ने आरोपितों से पूछताछ की तो सभी के होश उड़ गए। इन लोगों से पूछताछ के बाद पता चला कि यह सभी 940 करोड़ से अधिक की फर्जी लेनदेन कर चुके हैं।
अकेले गौरव ने 12 फर्जी कंपनी रजिस्टर्ड कराई हुई है। पुलिस उपायुक्त ने बताया कि 940 करोड़ की लेनदेन में यह लोग 200 करोड़ से अधिक की रकम हेराफेरी कर बचा चुके हैं।
आरोपित फर्जी बिलों के आधार पर एक कंपनी से दूसरी कंपनी में माल बेचकर टैक्स चोरी करते थे। इसके अलावा फर्जी कंपनियों में इन फर्जी बिलों के आधार पर रुपये निवेश दिखाकर उल्टा जीएसटी डिपार्टमेंट से मोटा रिफंड भी ले लेते थे।
इस गोरखधंधे का पुलिस को चला पता…
. आरोपी 940 करोड़ से अधिक की लेनदेन कर चुके हैं।
. सभी आरोपी वैट व जीएसटी डिपार्टमेंटभ् में कांट्रेक्ट पर डाटा एंट्री ऑपरेटर हैं।
. पुलिस को 227 फर्जी कंपनियों का पता चला है, इसके अलावा 340 की जांच जारी है।
. पुलिस ने आरोपियों के 25 बैंक अकाउंट को फ्रीज किया है, इनसे रुपयों की लेनदेन हुई है।
. इन 25 बैंक अकाउंट में 10 की जांच करने पर उसमें 48 लाख रुपये मिले हैं जो फ्रीज कर दिए हैं।
ऐसे लगाते थे आरोपित चूना…
ठगी का तरीका नंबर-1
पुलिस उपायुक्त ने बताया कि आरोपित दो तरीकों से जीएसटी डिपार्टमेंट को चूना लगाते थे। पहले तरीके में यह टैक्स चोरी करते थे।
पहले फर्जी कागजातों के आधार पर एक कंपनी बना दी जाती थी। इसके बाद उस कंपनी से फर्जी बिल बनाकर डिपार्टमेंट को चूना लगाया जाता था।
मिसाल के तौर पर किसी कंपनी ने एक करोड़ का कोई कारोबार किया है। उस पर 18 फीसदी जीएसटी यानी 18 लाख लगा तो यह कंपनी से 1.09 करोड़ में सौदा करते थे।
सौदा करने वाली कंपनी को दूसरी फर्जी कंपनी के 1.18 करोड़ के बिल दे दिए जाते थे। इसके अलावा अकाउंट में पैसा पूरा लेकर चोरी के नौ लाख कैश सौदा करने वाली कंपनी को लौटा दिए जाते थे। बाकी आरोपित अपनी फर्जी कंपनी में रुपये इधर से उधर कर बचा लेते थे।
ठगी का नंबर-2
पुलिस के मुताबिक दूसरे मामले में आरोपी एक भी रुपया निवेश किए बिना जीएसटी डिपार्टमेंट से लाखों रुपये रिफंड ले लिया करते थे।
मिसाल के तौर पर फर्जी कागजातों के आधार पर ए,बी, सी और डी नामक चार कंपनियों को रजिस्टर्ड किया। ए नामक कंपनी ने एक करोड़ का प्लास्टिक दाना बी को एक करोड़ में बेच दिया।
बी नामक कंपनी ने उसे आगे सी नामक कंपनी को 18 फीसदी जीएसटी लगाकर यानी 1.18 करोड़ में बेच दिया। सी नामक कंपनी ने उस प्लास्टिक दाने से माल तैयार किया।
उसने उस तैयार माल को पांच फीसदी जीएसटी लगाकर डी नामक कंपनी को 1.05 करोड़ में बेच दिया।
अब सी नामक कंपनी अपने 13 लाख रुपये के लिए जीएसटी डिपार्टमेंट से क्लेम करेगा। कुछ ही दिनों में सी को उसके 13 लाख मिल जाएंगे।
यह सारी प्रक्रिया कागजों पर चलती है, लेकिन सी नामक कंपनी को असली में 13 लाख का रिफंड मिलता है। इसी तरह से आरोपितों ने अब तक 200 करोड़ से अधिक का चूना लगाया है।
आरोपितों के पास से बरामदगी…
. आरोपियों के पास से 14 मोबाइल फोन बरामद, जिनको वारदात में इस्तेमाल किया गया।
. दो लैपटॉप
. फर्जी कंपनियों के नाम पर खोले गए खातों की 22 चैकबुक।
. 14 एटीएम कार्ड
. फर्जी कंपनियों की आठ रबर स्टैंप और बिल बुक
. 25 बैंक अकाउंट और उसमें 48 लाख रुपये।