रांची: झारखंड लोक सेवा आयोग की लगभग सभी परीक्षाएं विवादों से घिरी हुई हैं। छठी झारखंड पब्लिक सर्विस कमिशन (जेपीएससी) परीक्षा का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। छठी जेपीएससी संयुक्त सिविल सेवा प्रतियोगिता परीक्षा के मामले में अभ्यर्थियों ने सुप्रीम कोर्ट में कैवियट याचिका दायर की है।
छात्र नेता उमेश कुमार ने बताया कि प्रार्थी मुकेश कुमार व अन्य की ओर से दायर याचिका में झारखंड हाइकोर्ट की खंडपीठ के फैसले का बचाव किया गया है। याचिका में कहा गया है कि फैसला सुनाने के पूर्व उनके पक्ष को भी सुना जाये।
उल्लेखनीय है कि छठी जेपीएससी से अनुशंसित और नियुक्त अधिकारियों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटीशन (एसएलपी) दायर की गयी है। प्लानिंग सर्विस के अधिकारी फैजान सरवर ने एसएलपी दायर कर झारखंड हाईकोर्ट के 23 फरवरी के आदेश को चुनौती दी है।
एकल पीठ के आदेश को ठहराया था सही
झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने सात जून 2021 की एकल पीठ के आदेश को सही ठहराते हुए इसे बरकरार रखा था।
जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी की एकल पीठ ने छठी जेपीएससी की मेरिट लिस्ट रद्द कर आठ सप्ताह में फ्रेश मेरिट लिस्ट जारी करने का आदेश दिया था। एकल पीठ ने कहा था कि फ्रेश मेरिट लिस्ट के आधार पर नियुक्ति के लिए राज्य सरकार को अनुशंसा भेजी जाये।
326 अधिकारियों को हाईकोर्ट से नहीं मिली थी राहत
छठी जेपीएससी संयुक्त सिविल सेवा प्रतियोगिता परीक्षा से अनुशंसित और नियुक्त 326 अधिकारियों को हाईकोर्ट से कोई राहत नहीं मिली थी। अब संबंधित अधिकारियों की नौकरी खतरे में आ गयी है।
हाइकोर्ट ने पिछले बुधवार को अधिकारियों की ओर से दायर अपील याचिकाओं को खारिज करते हुए राहत देने से इनकार कर दिया था। हाइकोर्ट ने पूर्व में दिये गये अंतरिम आदेश (हटाने पर रोक) को भी वापस ले लिया था।