देहरादून : उत्तराखंड से सात आदमखोर गुलदार गुजरात के जामनगर स्थित रेस्क्यू सेंटर भेजे जाएंगे जाएंगे। गुजरात सरकार ने गुलदारों की शिफ्टिंग के इस प्रोजेक्ट को हरी झंडी दे दी है।
अब उत्तराखंड सरकार की अनुमति का इंतजार किया जा रहा है।
दरअसल उत्तराखंड में मनुष्य और वन्यप्राणियों के बीच संघर्ष एक बड़ी समस्या बन गई है। यह संघर्ष उत्तराखंड में सबसे ज्यादा है।
उल्लेखनीय है कि मानव-वन्यप्राणियों के बीच जीवन और अस्तित्व के लिए संघर्ष के मामले में टाप मोस्ट राज्यों में शुमार उत्तराखंड में पिछले दो दशक में 750 लोग जंगली जानवरों के हमले में मारे जा चुके हैं।
इनमें सर्वाधिक मौतें गुलदार और भालुओं के हमले से हुई हैं। उत्तराखंड में गुलदारों के लिए दो रेस्क्यू सेंटर बनाए गए हैं। कुमाऊं क्षेत्र के लिए अल्मोड़ा के रानीबाग में और गढ़वाल क्षेत्र के लिए हरिद्वार के चिड़ियापुर में रेस्क्यू सेंटर बनाया गया है।
दोनों रेस्क्यू सेंटर में जगह-जगह से रेस्क्यू किए गए 10 गुलदार हैं। चिड़ियापुर रेस्क्यू सेंटर पूरी तरह भर चुका है।
समस्या यह है कि अगर कोई और गुलदार रेस्क्यू होता है तो विभाग के पास उसे रखने के लिए जगह नहीं है।
इस बीच गढ़वाल और कुमाऊं में रेस्क्यू किए गए सात गुलदारों को तो विभाग रेडियो कॉलर लगाकर वापस जंगल में छोड़ चुका है, लेकिन हर गुलदार को कॉलर लगाना संभव नहीं है।
जो गुलदार रेस्क्यू सेंटर में है, उनका पालन पोषण भी आर्थिक रूप से विभाग पर भारी पड़ रहा है।
चिड़ियापुर रेस्क्यू सेंटर पर करीब 21 से 22 लाख रुपया सालाना खर्च आता है। उत्तराखंड के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन जेएस सुहाग का कहना है कि आदमखोर गुलदारों को किसी जू में भी नहीं रख सकते हैं।
सुहाग का कहना है कि 7 गुलदारों के गुजरात ट्रांसलोकेशन करने के लिए राज्य सरकार से परमिशन ली जा रही है।
यदि उत्तराखंड सरकार ने परमिशन दी तो ये देश में पहला मामला होगा, जब एक साथ 7 आदमखोर गुलदार एक राज्य से दूसरे राज्य में भेजे जाएंगे।