नई दिल्ली: सांस्कृतिक धरोहर में शामिल बेशकीमती 79 मूर्तियां अमेरिका से वापस लौटेंगी। इन्हें वापस लाने के प्रयास शुरू कर दिए गए हैं।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण एएसआइ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस साल के अंत तक मूर्तियों के देश में लौटने की उम्मीद है।
ये वे मूर्तियां हैं जिन्हें देश के विभिन्न हिस्सों से चोरी कर अमेरिका में करोड़ों रुपयों में बेच दिया गया था। इसमें 17 मूर्तियां कांस्य और सात पत्थर की हैं, जबकि अन्य 56 टेराकोटा की बनी हैं।
करीब तीन साल पहले एएसआइ की तत्कालीन अतिरिक्त महानिदेशक उर्मिला संत के नेतृत्व में पुरातत्वविदों की टीम ने अमेरिका जाकर सूक्ष्म परीक्षण कर इन मूर्तियों की पहचान की थी।
ये मूर्तियां दूसरी शताब्दी से लेकर 12वीं शताब्दी तक की हैं, जबकि कुछ हड़प्पा संस्कृति की टेराकोटा वस्तुएं भी शामिल हैं।
इनमें मध्य प्रदेश के कटनी जिला के कारीतलाई से चुराई गई 11वीं शताब्दी की एक अप्सरा की मूर्ति है।
इसके अलावा मध्य प्रदेश के ही भरहुत के एक स्मारक से चुराई गई 16-17 वीं शताब्दी की महाकोका देवता की एक मूर्ति शामिल है। यह मूर्ति 2006 में 16-17 अगस्त को चोरी कर ली गई थी।
इसके अलावा तमिलनाडु के मंदिरों से चुराई गईं चार कांस्य की मूर्तियां शामिल हैं। इनमें पूर्व चोल काल के लिंगोद्भवा की दो पत्थर की मूर्तियां शामिल हैं। ये मूर्तियां 12वीं- 13वीं शताब्दी की हैं।
तमिलनाडु से ही मंजुश्री की एक मूर्ति है जो 10-11 वीं शताब्दी है।
इनमें से कई को अमेरिका के एक संग्रहालय ने मूर्ति तस्कर सुभाष कपूर से खरीदा था, जिन्हें संग्रहालय ने अमेरिकी सरकार को वापस लौटा दिया है।
देश में मूर्तियां वापस लाने का सिलसिला तब तेज हुआ जब सुभाष कपूर को 2011 में गिरफ्तार कर लिया गया। पूछताछ में पता चला कि उसने देश के कई हिस्सों से मूर्तियां चोरी कर दूसरे देशों में बेच दी थीं।
उसकी गिरफ्तारी के बाद विदेश में कई लोगों ने मूर्तियों को वहां की सरकार को वापस कर दिया या वहीं की सरकार ने वहां के लोगों से जब्त किया। कपूर इस समय तमिलनाडु की जेल में बंद है।