नई दिल्ली: दिल्ली के हरीनगर इलाके से एक मामला सामने आया है, जहां एक 8 साल के बच्चे को उसकी सौतेली मां द्वारा बहुत बुरी तरह से मारा पीटा जाता, बच्चे की चीखें पूरे मोहल्ले में गूंजती थीं।
मंगलवार को पड़ोस के लोगों ने दिल्ली महिला आयोग इसकी सूचना दी।
दिल्ली महिला आयोग को सूचना मिलते ही शिकायकर्ता से मुलाकात की।
इस दौरान शिकायतकर्ता ने आयोग की टीम को बताया कि, उसने कई बार इसकी शिकायत पुलिस को भी की लेकिन पुलिस ने इसे घर का मामला बता कोई कार्यवाही नहीं की।
शिकायतकर्ता ने अपने फोन में एक वीडियो भी दिखाया, जिसमें बच्चा की चीखने की आवाज सुनाई दे रही है। और उसे पीटने की भी आवाज सुनाई दे रही है।
आयोग ने पीसीआर पर कॉल कर पुलिसकर्मी को बुलाया और उनके साथ मिलकर बच्चे को घर से रेस्क्यू किया। बच्चे और उसकी सौतेली मां को हरीनगर पुलिस स्टेशन ले जाया गया।
पुलिस स्टेशन पहुंचकर बच्चे की काउंसलिंग की गई। बच्चा बहुत डरा हुआ था और कुछ भी बताने की स्तिथि में नहीं था, हालांकि काउंसलिंग के बाद बच्चे ने अपनी आपबीती बताई।
बच्चे ने बताया कि उसके साथ रोज उसकी सौतेली मां मारपीट करती थी, कई बार खाना नहीं दिया जाता था और न ही उसे घर से बाहर जाने दिया जाता था, जब जब मां बाहर जाती उसे रस्सी से बांधकर जाती।
बच्चे के बयान के आधार पर मामले में हरीनगर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज की गई एवं बच्चे को मेडिकल जांच के लिए लिए ले जाया गया।
मेडिकल जांच के बाद बच्चे को शेल्टर होम ले जाया गया और उसके बाद बुधवार को उसे बाल कल्याण समिति (चाइल्ड वेलफेयर कमेटी) के सामने प्रस्तुत किया गया।
समिति ने बच्चे के पिता को बुलवाया, पिता ने बताया की ये उसकी दूसरी शादी है और लॉकडाउन के बाद से ही वो मुंबई में रह रहा था और उसका बच्चा दिल्ली में उसकी पत्नी के साथ रह रहा था।
समिति के समक्ष बच्चे के पिता ने लिखित आश्वासन दिया कि वो बच्चे की सुरक्षा का ध्यान रखेगा और बच्चा मैंगलोर में अपने दादा दादी के पास रहेगा। इसके चलते समिति ने बच्चे को उसके पिता के हवाले कर दिया।
मामले का संज्ञान लेते हुए अध्यक्षा स्वाति मालिवाल ने सीडब्ल्यूसी को पत्र लिखकर अफसोस जताया है की न तो अब तक सौतेली मां के खिलाफ एफआईआर हुई है और उल्टा बिना जांच पड़ताल के बच्चे को उसके पिता को सौंप दिया गया।
उन्होंने पत्र में लिखा है की, बच्चा अपने दादी के साथ रहना चाहता है पर उसको उसके पिता के साथ बिना किसी जांच पड़ताल के जाने देना कितना सही होगा जब पिता ने बच्चे की सुध नहीं ली।
उन्होंने सीडब्ल्यूसी से अनुरोध कर लिखा है कि मामले में सौतेली मां के खिलाफ एफआईआर कराएं और ये सुनिश्चित किया जाए की बच्चा सुरक्षित उसके दादी के पास मंगलूरु पहुंच जाए।
साथ ही एक टीम गठित हो जो बच्चे की खबर हर ह़फ्ते ले और सुनिश्चित करे की वो ठीक है।
इस मामले में स्वाति मालिवाल ने एफआईआर न दर्ज होने के चलते पुलिस को भी नोटिस भेजा है।
दिल्ली महिला आयोग अध्यक्षा स्वाति मालीवाल ने कहा, ये मामले बहुत ज्यादा संगीन और डराने वाला है, आयोग ने अपने कार्य क्षेत्र से बाहर जाते हुए छोटे बच्चे को बचाया।
नन्हे से मासूम के साथ इस प्रकार की मारपीट और दुर्व्यवहार पूरी इंसानियत को शर्मसार करता है।
इतने गंभीर मामले में भी एफआईआर न होना बहुत ही दुखदाई है, हम पुलिस को नोटिस भेज रहे हैं, हर हाल में एफआईआर दर्ज होनी चाहिए. मुझे गर्व है दिल्ली महिला आयोग की अपनी टीम पर जो दिन रात इस प्रकार सक्रियता से दिल्लीवालों की सेवा करती है।