काबुल: अफगानिस्तान में पिछले साल अगस्त में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से कम से कम 86 रेडियो स्टेशनों ने परिचालन बंद कर दिया है। ये जानकारी मीडिया की रिपोर्ट से सामने आई है।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, रविवार को एक रिपोर्ट में टोलो न्यूज ने कहा कि देश के मीडिया के पतन का मुख्य कारण वित्तीय और राजनीतिक मुद्दे हैं।
वर्दक निवासी मंगल ने कहा, हमारे पास रेडियो से बहुत सारी यादें हैं। एक समय था जब रेडियो सुनने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।
जब हम रेडियो सुन रहे थे, तो हम एक व्यक्ति को नजर रखने के लिए कहते थे क्योंकि हम इसे सभी से छुपा कर सुन रहे थे।
वर्दक निवासी अब्दुल सलीम ने कहा, यह बहुत समय पहले की बात है। मैं एक बच्चा था। हमारे गांव में एक रेडियो उपकरण लाया गया था। जब मैं प्रसारण सुन रहा था, तो मैं सोच रहा था कि रेडियो डिवाइस के अंदर लोग हैं।
सरकार के पतन के बाद अफगानिस्तान में हालिया राजनीतिक परिवर्तन ने अफगान मीडिया के रेडियो क्षेत्र को बुरी तरह प्रभावित किया है।
रेडियो जहान उन दर्जनों में से एक है, जिन्होंने अगस्त 2021 से परिचालन बंद कर दिया है।
स्टेशन के प्रमुख मोसावर रसिख ने कहा, गंभीर आर्थिक चुनौतियों के कारण रेडियो जहान ने 6 महीने से अधिक समय तक प्रसारण रोक दिया है।
जमजमा रेडियो स्टेशन के प्रमुख शफीउल्लाह अजीजी ने कहा , देश में लगभग 70 प्रतिशत रेडियो स्टेशन बंद हैं। वर्तमान स्थिति में इसका कारण आर्थिक चुनौतियां और प्रसारण कार्यक्रम हैं। दूसरी ओर सरकार रेडियो स्टेशनों से कर इक्ठ्ठे करने पर जोर देती है।
आंकड़ों के आधार पर, काबुल के पतन के बाद से 300 से अधिक विभिन्न प्रकार के मीडिया संगठन बंद कर दिए गए हैं।
अफगान इंडिपेंडेंट जर्नलिस्ट एसोसिएशन के प्रमुख, होजतुल्लाह मुजादीदी ने कहा, हमारे निष्कर्ष बताते हैं कि अगर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय मीडिया को वित्तीय सहायता प्रदान नहीं करता है, तो इनमें से कई रेडियो स्टेशन अगले छह महीनों के अंदर बंद हो जाएंगे। यह देश में मीडिया के पतन को दर्शाता है।
अफगानिस्तान में रेडियो की शुरूआत 1926 में पूर्व राजा अमानुल्लाह खान के काल में हुई थी।
पहले रेडियो स्टेशन का नाम रेडियो काबुल था और इसका प्रसारण काबुल में होता था।