नई दिल्ली: सागर में चल रही बागेश्वर धाम (Bageshwar Dham) सरकार पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (Pandit Dhirendra Krishna Shastri) की श्रीमद्भागवत कथा (Shrimad Bhagwat Katha) रविवार को संपन्न हुआ।
कथा के आखिरी दिन 95 लोगों ने सनातन धर्म में वापसी की। इस दौरान मंच से Pandit Dhirendra Krishna Shastri ने सनातन धर्म में वापसी करने वालों से बातचीत भी की।
इस दौरान उन्होंने कहा, आगे कोई बड़ा प्रलोभन मिलेगा तो क्या फिर चले जाओगे, जवाब में लोगों ने कहा कि हम आपसे प्रेरित होकर सनातन धर्म में आए हैं और अब कभी वापस नहीं जाएंगे।
“जब तक सांस चलेगी तब तक हिंदू को बिखरने नहीं दूंगा”
Pandit Dhirendra Krishna Shastri ने कहा कि जब तक शरीर में सांस रहेगी तब तक हिंदू (Hindu) को बिखरने नहीं दूंगा।
बारिश हो रही है जमीन जरूर गीली है, लेकिन जमीर गीला नहीं होना चाहिए। जिस यज्ञ में बारिश हो जाती है वह यज्ञ सफल हो जाता है।
मैं कह रहा था कि सागर में कुछ बड़ा होने वाला है। आज कुछ परिवार सनातन धर्म में वापसी कर रहे हैं।
इसमें 50 से अधिक परिवारों के 95 लोग शामिल हैं, जो भ्रमित होकर अन्य धर्म में चले गए थे।
उन्होंने गुलाब रानी, दयाल और अन्य लोगों से बात की। उन्होंने कहा कि अब बताइये कहते हैं कि हम नफरत फैला रहे हैं या कोई हमारे भोले भाले सनातनियों को बहला रहा है।
इसके बाद कथा में भागवत के प्रसंगों का सुंदर वर्णन किया और कई दृष्टांत सुनाए।
अंतिम दिन बारिश के बावजूद भी बड़ी संख्या में लोग कथा सुनने पहुंचे।
आप सबकी आदत हो गई
कथा के अंतिम दिन उन्होंने कहा कि सागर के पागलों आप सभी धन्य हो आज यहां मेरी कथा का अंतिम दिन है।
यहां जैसी भक्ति कहीं नहीं देखी। मुझे आप सबकी आदत हो गई है। जल्द ही फिर आऊंगा और आप सभी को राम कथा सुनाऊंगा।
कथा के आखिरी दिन जमकर हुई बारिश
कथा के आखिरी दिन जमकर बारिश हुई। देर रात से ही लोग Bageshwar Dham सरकार के दर्शन करने हजारों की संख्या में मौजूद थे।
बारिश में भीगते श्रद्धालुओं को देख वे बार बार बाल्कनी से आकर लोगों का अभिवादन करते रहे।
साथ ही सहयोगियों को व्यवस्थाएं बनाए रखने के लिए निर्देशित करते रहे।
वे स्वयं व्यवस्थाओं की जानकारी लेते रहे तो वहीं कथा पंडाल में उन्होंने कहा कि सागर जैसे श्रोता कहीं नहीं मिले।
आपकी श्रद्धा अपार है। इसीलिए मैं तीन दिन से सोया नहीं, मौसम कैसा भी हो, कोई भी तूफान आ जाए कथा से हमें कोई रोक नहीं सकता।