रांची: राज्य के पारा शिक्षकों और राज्य सरकार के बीच लंबे समय से चली आ रही जिच पर मंगलवार को पूर्ण विराम लगता दिखा।
पारा शिक्षकों और शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो की मंगलवार को हुई वार्ता में सिर्फ एक बिंदु को छोड़कर बाकी सभी बिंदुओं पर दोनों पक्ष सहमत हो गये।
जनवरी 2022 में एक बार फिर सरकार और पारा शिक्षक मिलकर मंथन करेंगे
इस वार्ता में सरकार की तरफ से जो प्रस्ताव रखे गये, उन्हें पारा शिक्षकों ने स्वीकार कर लिया। वहीं, पारा शिक्षकों ने जो मांगें रखीं, उन्हें सरकार ने स्वीकार कर लिया। जिस एक बिंदु पर सहमति नहीं बन पायी, वह है वेतनमान का मुद्दा।
हालांकि, वेतनमान का मुद्दा भी खत्म नहीं हुआ है, यह मुद्दा अभी भी जिंदा है। बस, इस मुद्दे पर अभी बात नहीं बनी है। इस मुद्दे पर (वेतनमान के मुद्दे पर) जनवरी 2022 में एक बार फिर सरकार और पारा शिक्षक मिलकर मंथन करेंगे।
यह वार्ता मंगलवार को धुर्वा में प्रोजेक्ट भवन स्थित स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के कार्यलय में हुई। वार्ता के दौरान स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव राजेश शर्मा, गिरिडीह के विधायक सुदिव्य कुमार सोनू, राज्य परियोजना निदेशक किरण कुमारी पासी भी मौजूद थे।
वार्ता के समापन के बाद एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा (राज्य इकाई) के सदस्य प्रद्युम्न कुमार सिंह (सिंटू) और झारखंड राज्य प्रशिक्षित पारा शिक्षक संघ (राज्य इकाई) के प्रदेश अध्यक्ष सिद्दीक शेख ने वार्ता में तय हुई बातों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मंगलवार को शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो और पारा शिक्षकों के प्रतिनिधियों के बीच हुई वार्ता में तय हुआ है कि बिहार की ही तर्ज पर अब झारखंड के भी पारा शिक्षक ‘सहायक अध्यापक’ के रूप में जाने जायेंगे। वहीं, मानदेय में 40-50 प्रतिशत वृद्धि होगी। हालांकि, सालाना मानदेय वृद्धि चार प्रतिशत होगी।
उन्होंने बताया कि इस वार्ता में यह भी तय हुआ है कि पारा शिक्षकों की सेवा उनकी 60 वर्ष की आयु तक स्थायी रहेगी। यानी, उनकी 60 वर्ष की आयु से पहले उन्हें सेवा से हटाया नहीं जायेगा। वहीं, पारा शिक्षकों के परिवारवालों को अनुकंपा पर नौकरी का भी लाभ मिलेगा।
इसके अलावा सरकारी शिक्षक नियुक्ति में 50 प्रतिशत का आरक्षण भी जारी रहेगा, इसे समाप्त नहीं किया जायेगा। यह भी तय हुआ है कि अगर केंद्र सरकार राशि नहीं देगी, तो उसे राज्य सरकार वहन करेगी। वहीं, वेतनमान के मुद्दे पर फैसला लेने के लिए जनवरी 2022 में मुख्यमंत्री के साथ बैठक होगी।
वार्ता में यह भी हुआ तय
• टेट पास पारा शिक्षकों पर सरकार फैसला करेगी।
• अब पात्रता (आकलन) परीक्षा पास करने के लिए अवसरों की संख्या सीमा तीन नहीं, बल्कि चार होगी। यानी, आकलन परीक्षा में अगर कोई पारा शिक्षक तीन बार भी असफल हो जाते हैं, तो उन्हें यह परीक्षा पास करने के लिए चौथा अवसर भी मिलेगा। यह आकलन परीक्षा चार बार छह-छह महीने के अंतराल पर होगी।
• पारा शिक्षकों के 18 वर्षों से चल रहे आंदोलन के दौरान जिन पारा शिक्षकों पर सरकार की तरफ से मुकदमे हुए हैं, शिक्षा विभाग उन सभी मुकदमों को वापस लेने के मुद्दे पर गृह विभाग से बात करेगा।
• प्रस्तावित नियमावली ‘झारखंड पारा शिक्षक सेवा शर्त नियमावली 2021’ का नाम बदलकर ‘झारखंड सहायक अध्यापक शिक्षक सेवा शर्त नियमवाली 2021’ किया जायेगा। इसके अंतर्गत अब सभी पारा शिक्षक ‘सहायक अध्यापक’ कहे जायेंगे।
• इस नियमावली के प्रारूप पर 20 दिसंबर को कैबिनेट की बैठक में चर्चा होगी। चर्चा के बाद कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद पारा शिक्षकों को नियोजित शिक्षक (सहायक अध्यापक) के रूप में जाना जाने लगेगा।
• प्रशिक्षित पारा शिक्षकों को 40 प्रतिशत और टेट पास पारा शिक्षकों को 50 प्रतिशत मानदेय वृद्धि का लाभ नियमावली लागू होने पर एक जनवरी से मिलेगा।
• आकलन परीक्षा पास करने पर प्रशिक्षित पारा शिक्षकों के मानदेय में 10 प्रतिशत का इजाफा होगा।
• जेटेट और सीटेट पास पारा शिक्षकों को आकलन परीक्षा नहीं देनी पड़ेगी।
• प्रस्तावित नियमावली में ईपीएफ मुख्यमंत्री की सहमति से लागू होगा।
• सेवा पुस्तिका का संधारण होगा।
• 15 दिनों का वैतनिक मेडिकल अवकाश मिलेगा।
• मानदेय में वार्षिक चार प्रतिशत की वृद्धि होगी।
पारा शिक्षकों के प्रतिनिधियों और शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो के साथ मंगलवार को हुई इस वार्ता के समापन के बाद पारा शिक्षक संघ के विनोद बिहारी महतो समेत कई प्रतिनिधियों ने कहा कि अब वे लोग खुश हैं। उन्हें खुशी है कि मौजूदा सरकार और खासकर शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने वादा पूरा किया। विधायक सुदिव्य सोनू ने भी इसमें अहम भूमिका निभायी।
इधर, वार्ता समाप्ति के बाद पारा शिक्षकों के प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात की और अपनी वेतनमान की मांग दोहरायी। इस पर धीरे-धीरे सभी सुविधाएं बहाल करने का आश्वासन मिला। मुख्यमंत्री ने सभी पारा शिक्षकों से राज्य हित में कार्य करने का आग्रह किया।
झारखंड राज्य प्रशिक्षित पारा शिक्षक संघ (राज्य इकाई) के प्रदेश अध्यक्ष सिद्दीक शेख ने स्व मुनेश्वर सिंह को श्रद्धांजलि देते हुए कहा, “स्थायीकरण शहीद मुनेश्वर सिंह का सपना था। उस सपने को हमने पा लिया है। अब शहीद कंचन दास, शहीद जीनत समेत आंदोलन के 26 शहीदों का सपना वेतनमान अधूरा है। उसे झारखंड राज्य प्रशिक्षित पारा शिक्षक संघ संघर्ष के बलबूते हासिल करेगा।”
उन्होंने कहा कि राज्य के प्रशिक्षित पारा शिक्षकों को निकालने का ताना देनेवाले को मुंह खानी पड़ी। अब अगर केंद्र सरकार अपना अंश देने बंद कर देगी, तो उस राशि को राज्य सरकार वहन करेगी।
प्रदेश महासचिव विकास कुमार चौधरी और प्रधान सचिव सुमन कुमार ने कहा कि संगठन ने राज्य के सभी पारा शिक्षकों का भविष्य सुरक्षित कर दिया है, स्थायीकरण मिलने के साथ ही हम संविदाकर्मी राज्य कर्मी हो गये हैं।
वार्ता में झारखंड राज्य प्रशिक्षित पारा शिक्षक संघ की ओर से प्रदेश अध्यक्ष सिद्दीक शेख, महासचिव विकास कुमार चौधरी, प्रधान सचिव सुमन कुमार, कोषाध्यक्ष नीरज कुमार, देवघर जिला सचिव अरुण झा और जामताड़ा के साथी अजीत कुमार सिंह भी मौजूद थे।