रांची: झारखंड हाई कोर्ट में मंगलवार को जैप-10 महिला बटालियन की सिपाहियों की प्रोन्नति के लिए अलग वरीयता सूची तैयार करने के मामले को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई हुई।
प्रार्थी के अधिवक्ता शुभाशीष सोरेन ने बताया कि अदालत ने इस मामले में राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि छह सप्ताह के अंदर जैप-10 की महिला सिपाहियों की वरीयता सूची तैयार की जाये।
हाई कोर्ट के न्यायधीश जस्टिस डॉ एसएन पाठक की अदालत ने सुनवाई के दौरान नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि महिला और पुरुषों के बीच भेदभाव संविधान का उल्लंघन है।
अधिवक्ता शुभाशीष सोरेन ने बताया कि सुनवाई के दौरान प्रार्थी उर्मिला कच्छप और अन्य की तरफ से अदालत को यह जानकारी दी गयी कि जैप-10 की महिला बटालियन की सिपाहियों की प्रोन्नति के लिए बननेवाली वरीयता सूची में सरकार अनदेखी कर रही है।
कहा गया कि राज्य सरकार की ओर से सिपाहियों की प्रोन्नति के लिए पुरुष और महिला सिपाहियों की अलग-अलग वरीयता सूची बनायी गयी है, जो गलत है।
वरीयता सूची में भेदभाव के कारण कई महिला सिपाही 50 वर्ष की उम्र में भी प्रोन्नति से वंचित हैं।
प्रार्थी की ओर से बहस सुनने के बाद अदालत ने राज्य सरकार को छह सप्ताह के अंदर कम्बाइंड सीनियरिटी लिस्ट जारी करने का निर्देश दिया है।