रांची : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि कौशल विकास के तहत हुनर एवं रोजगार की बेहतर व्यवस्था तलाशने का काम सरकार निरंतर कर रही है।
राज्य सरकार स्किल यूनिवर्सिटी स्थापित किये जाने को लेकर विचार कर रही है। जल्द ही राज्य में स्किल यूनिवर्सिटी की भी स्थापना की जायेगी।
मुख्यमंत्री गुरुवार को झारखंड मंत्रालय स्थित सभागार में आयोजित सेफ एंड रिस्पॉन्सिबल माइग्रेशन इनिशिएटिव के उदघाटन कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि जीवन की बेहतरी के लिए गरीब, मजदूर, किसान, नौजवान, हम-आप सभी लोग माइग्रेट करते हैं। हमारे झारखंड राज्य से भी रोजगार के लिए बड़े पैमाने पर श्रमिकों का दूसरे राज्यों एवं देशों में पलायन होता है, लेकिन आज तक प्रवासी श्रमिकों के सुरक्षित और जवाबदेह पलायन के लिए कोई ठोस नीति अथवा व्यवस्था नहीं बनायी गयी है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार का प्रयास है कि झारखंड से जो भी श्रमिक भाई एवं अन्य लोग रोजगार की तलाश में दूसरे राज्य अथवा देशों में जाते हैं, उनका हम पूरा डेटाबेस तैयार कर सकें और नीति के तहत उन्हें विपत्ति के समय मदद पहुंचा सकें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि रोजगार के बेहतर साधन के लिए राज्य के लोग देश के अलग-अलग राज्यों एवं विदेशों में भी पलायन करते हैं।
अपने जीवन स्तर को सकारात्मक दिशा की ओर ले जाने के लिए स्वाभाविक है कि हमें दूसरी जगहों पर पलायन करना पड़ता है।
इन सभी चीजों को मद्देनजर रखते हुए माइग्रेशन पर राज्य सरकार प्रवासी श्रमिकों के लिए ठोस नियम-व्यवस्था बनाने का कार्य प्रतिबद्धता के साथ कर रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड के अधिकतर मजदूर एक निश्चित समय-सीमा के लिए पलायन करते हैं, परंतु कुछ ऐसे भी मजदूर हैं, जो लंबे समय तक दूसरी जगहों पर बसने भी जाते हैं।
जो मजदूर एक निश्चित समय अवधि के लिए रोजगार के लिए बाहर जाते हैं, उनके साथ क्या बीतता है, यह कोरोना काल के समय हम सभी को अहसास हुआ है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वैश्विक संक्रमण काल में भी राज्य सरकार ने कंट्रोल रूम की स्थापना कर प्रवासी मजदूरों को हर संभव सहायता प्रदान करने की कोशिश की है।
जो मजदूर वापस घर आना चाहते थे, उन्हें विभिन्न माध्यमों से घर लाने का भी कार्य सरकार ने किया था।
उन्होंने कहा कि कभी-कभी प्रवासी श्रमिक भाइयों की मृत्यु से संबंधित अप्रिय खबरें भी आती हैं। अगर दुर्भाग्यवश किसी प्रवासी श्रमिक की मृत्यु होती है,
तो राज्य सरकार उनके दिवंगत शरीर को वापस उनके घर लाने की व्यवस्था करेगी तथा अंत्येष्टि का पूरा खर्चा राज्य सरकार ही वहन करेगी। इसके लिए सभी जिलों में कॉरपस फंड की व्यवस्था की जा रही है।
हेमंत सोरेन ने कहा कि राज्य के प्रवासी मजदूरों को संरक्षित करने के लिए सरकार द्वारा ई-श्रम पोर्टल बनाया गया है। इस पोर्टल के तहत प्रवासी श्रमिकों का रजिस्ट्रेशन किया जाता है, ताकि विपत्ति के समय राज्य सरकार उन्हें तत्काल मदद पहुंचा सके।
मुख्यमंत्री ने राज्य के प्रवासी श्रमिक भाइयों से अपील की कि इस पोर्टल में वे अपना रजिस्ट्रेशन अवश्य करायें। वैसे प्रवासी श्रमिक, जो दूसरे देशों में काम करते हैं, उन्हें कैसे संरक्षित कर सकें, इसके लिए केंद्र एवं राज्य सरकार के बीच समन्वय स्थापित करने की भी आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे तो राज्य सरकार द्वारा कई महत्वाकांक्षी योजनाएं चलायी जा रही हैं, जिससे यहां के श्रमिकों को उनके घर के आस-पास में ही रोजगार उपलब्ध कराया जा सके।
मुख्यमंत्री ने कहा कि लॉकडाउन के बाद ऐसा भी देखा गया है कि सैकड़ों प्रवासी मजदूर राज्य सरकार की योजनाओं से जुड़े हैं तथा बेहतर जीविकोपार्जन कर रहे हैं।
हाल के दिनों में पलायन करनेवाले मजदूरों की संख्या में भी कमी भी आयी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश इत्यादि राज्यों से रेस्क्यू कर लायी गयीं युवतियों एवं महिलाओं को भी टेक्सटाइल इंडस्ट्री में रोजगार देने का काम राज्य सरकार ने हाल के दिनों में किया है।
दो हजार नियुक्ति पत्र टेक्सटाइल इंडस्ट्री में बांटे गये थे, जिनमें 80 प्रतिशत महिलाएं थीं। इन सभी को दूसरे राज्यों की अपेक्षा ज्यादा वेतन एवं सुविधाओं से जोड़ने का काम किया गया है।
मुख्यमंत्री ने प्रवासी श्रमिकों के लिए सम्मानजनक जीवन के साथ-साथ आवास, स्वास्थ्य और बीमा सहित अन्य सेवाओं को मजबूत करने की इच्छा जतायी।
इस अवसर पर श्रम मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में पूरे कोरोना संक…