रामगढ़ : रामगढ़ जिले का सबसे चर्चित मामला ‘पुलिस की पिटाई से वृद्ध महिला की मौत’ काफी सुर्खियों में रहा था।
इस मुद्दे ने झारखंड के पक्ष और विपक्ष को एक मंच पर लाकर खड़ा कर दिया था। अब दावा किया जा रहा है कि 20 अक्टूबर की रात हुई इस वारदात की साजिश गांववालों ने पुलिस की दबिश को कम करने के लिए रची थी।
कहा जा रहा है कि 16 अक्टूबर को रावण दहन के दौरान पुलिस पदाधिकारियों को जिस कदर पीटा गया था, उसमें लगभग पूरे गांव के लोग आरोपी बने थे। पुलिस दिन-रात इस गांव में गश्त लगा रही थी, जिससे वहां के लोग तीन दिनों में ही काफी परेशान हो गये थे।
दावा किया जा रहा है कि पुलिस की पिटाई से वृद्ध महिला की मौत का पूरा मामला झूठा है। रामगढ़ एसपी प्रभात कुमार के नेतृत्व में पूरी जांच रिपोर्ट सामने आ चुकी है। इस घटनाक्रम के जितने भी किरदार थे, उन लोगों ने कोर्ट में सच बयां किया है।
उनके बयान से स्पष्ट हो गया कि घटनास्थल से 10 किलोमीटर दूर मौजूद सुमंत महतो ने पुलिसवालों के खिलाफ झूठी प्राथमिकी दर्ज करायी थी।
बताया जा रहा है कि 20 अक्टूबर की रात जब उमानो देवी की स्वाभाविक मौत हुई, उस वक्त घर में उसका पति और उसकी पोती प्रभा सहित तीन लोग मौजूद थे।
सुमंत महतो पुलिस के डर से 10 किलोमीटर दूर बेटी और दामाद के घर में छुपा हुआ था। जब प्रभा ने देर रात सुमंत को फोन किया था कि दादी का निधन हो गया है, तब सुबह वह घर पहुंचा।
दावा किया जा रहा है कि मृतका उमानो देवी के परिजनों को गांव के कुछ लोगों ने डेढ़ लाख रुपये का प्रलोभन दिया था। उन लोगों ने सुमंत महतो को कहा था कि पुलिस के खिलाफ हत्या का आरोप लगाओ और फिर अपने बयान पर टिके रहो।
इससे पुलिस कमजोर पड़ेगी और गांववालों को काफी राहत मिलेगी। इसके लिए चंदा इकट्ठा कर उसे डेढ़ लाख रुपये दिये जायेंगे।
झूठी प्राथमिकी दर्ज होने के काफी दिन के बाद भी जब सुमंत महतो को डेढ़ लाख रुपये नहीं मिले, तो वह खुद चौक-चौराहों पर यह बोलने लगा कि अगर उसे पैसे नहीं मिले, तो वह पुलिस को सच बता देगा।
यह भी कहा जा रहा है कि पुलिस पर जिस समय वृद्ध महिला को मारने का आरोप लगा था, उस रात की सच्ची कहानी कुछ और ही है।
मृतका उमानो देवी की पोती रात के एक बजे से लेकर 02:15 बजे तक ब्वॉयफ्रेंड से बात करती हुई पायी गयी। इस बात का खुलासा उसके सीडीआर से पुलिस ने किया है।