वाशिंगटन: ये ताजा अध्ययन कोविड-19 वैक्सीन के दुर्लभ प्रतिकूल असर का सामना कर रहे युवाओं को राहत प्रदान करने वाला है।
अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि कोविड-19 वैक्सीन के प्रतिकूल असर के कारण कई बार दिल की मांसपेशियों में सूजन आ जाती है।इसे मायोकार्डिटिस कहा जाता है।
इसके हल्के लक्षण वाले 21 साल से कम उम्र के युवाओं को घबराने की जरूरत नहीं है। यह जल्द ही ठीक हो जाती है।वैसे मायोकार्डिटिस एक दुर्लभ व गंभीर बीमारी मानी जाती है,
जिसमें दिल कमजोर पड़ जाता है।इसमें दिल की इलेक्ट्रिकल प्रणाली भी प्रभावित होती है, जो उसकी नियमित पंपिंग के लिए जिम्मेदार होती है
।स्टडी के दौरान अमेरिका और कनाडा के 26 बाल चिकित्सा केंद्रों में उपलब्ध 21 साल से कम उम्र के युवाओं से जुड़े आंकड़ों का विश्लेषण किया गया।
बोस्टन चिल्ड्रेंस हॉस्पिटल की एसोसिएट कार्डियोलॉजिस्ट और इस स्टडी को लीड करने वाली डॉ जेनडब्ल्यू।
न्यूबर्गर ने कहा, ‘ कोविड वैक्सीन के प्रतिकूल असर संबंधी आंकड़ों की सीमित उपलब्धता के बीच हमने ऐसे लक्षणों वाले किशोरों और 21 साल से कम उम्र के युवाओं की फाइलों का अध्ययन किया।
कोविड टीकाकरण के बाद मायोकार्डिटिस की शिकायतें सबसे ज्यादा किशोरों और युवाओं में आई हैं।’डॉ जेन डब्ल्यू। न्यूबर्गर ने आगे बताया, ‘139 लोगों की स्टडी के दौरान एमआरएनए वैक्सीन दिए गए थे।
वैक्सीन लगने के दो दिन के भीतर उन्हें सीने में दर्द, बुखार और सांस लेने में तकलीफ हुई।इनमें से हर पांचवे व्यक्ति को आईसीयू में भर्ती कराना पड़ा।
लेकिन उन्हें दो से तीन दिनों में अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।किसी की भी मौत नहीं हुई।’ बता दें कि कोरोना का नया वैरिएंट ओमिक्रोन के आने के बाद कई देशों में सतर्कता पहले से ज्यादा बढ़ गई है।
विश्व स्वाास्य्ोन संगठन के इमरजेंसिज डायरेक्ट र माइकल रयान ने कहा है कि अभी ऐसी कोई भी जानकारी नहीं मिली है, जिसके आधार पर कहा जा सके कि ओमिक्रॉन अत्यटधिक संक्रामक है।
उन्होंकने कहा कि ओमिक्रॉन को पहले आ चुके डेल्टाभ या अन्य वेरिएंट से ज्यािदा खतरनाक और जानलेवा कहना जल्दोबाजी होगी।
उन्हों्ने कहा कि हमें इस बात पर भी सोचना होगा कि जिस समय दुनियाभर के देशों में कोरोना का डेल्टाक वेरिएंट फैला था उस वक्तं किसी भी देश के पास वैक्सीान नहीं थी।
अब हमारे पास उच्चं क्षमता की वैक्सी्न मौजूद है, जिन्हों ने कोरोना के अलग-अलग वेरिएंट पर बेहतर काम किया है।