ह्यूस्टन: अंतरिक्ष के कई रहस्यों का खुलासा करने वाला हबल टेलिस्कोप जल्द ही रिटायर हो जाएगा है।अंतरिक्ष में जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप उसकी जगह लेगा।
इस लोग अंतरिक्ष की खिड़की भी कह रहे हैं।साथ ही कहा जा रहा है कि यह अंतरिक्ष के अंधेरे के अंत तक की खोज करेगा। क्योंकि यह ब्रह्मांड के सुदूर इलाकों की तस्वीरें और रहस्य खंगालेगा।
ऐसा माना जा रहा है कि इसकी लॉन्चिंग क्रिसमस के आसपास हो सकती हैं।जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप की आंखें यानी गोल्डेन मिरर की चौड़ाई करीब 21.32 फीट है।ये एक तरह के रिफलेक्टर हैं।जो कई षटकोण टुकड़ों को जोड़कर बनाए गए हैं।
इसमें इसतरह के 18 षटकोण लगे हैं।ये षटकोण बेरिलियम से बने हैं।हर षटकोण के ऊपर 48.2 ग्राम सोने की परत लगी। ये सारे षटकोण एकसाथ मुड़कर इस लांच करने वाले रॉकेट के कैप्सूल में फिट हो जाएंगे।
जेडब्लूएसटी को एरियन-5 ईसीए रॉकेट से लांच किया जाएगा।यह धरती से करीब 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर अंतरिक्ष में स्थापित होगा।अंतरिक्ष में अगर यह सलामत रहा,तब 5 से 10 साल काम करेगा।
अगर इस किसी उल्कापिंड या सौर तूफान ने कोई नुकसान नहीं पहुंचाया तब, इसके गोल्डेन मिरर को एयरोस्पेस कंपनी नॉर्थरोप ग्रुमेन ने बनाया है।
जेडब्लूएसटी को बनाने का नेतृत्व अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा कर रही है।जब यह पूरी तरह से तैयार हो जाएगा तब इस समुद्री मार्ग से यूरोपियन रॉकेट फैसिलिटी कोरोउ ले जाया जाएगा।
सबसे बड़ी कठिनाई आएगी इस धरती से 15 लाख किलोमीटर दूर की यात्रा करने में।इतनी दूर जाकर सटीक स्थान पर इस सेट करना।उसके बाद उसके 18 षटकोण को एलाइन करके एक परफेक्ट मिरर बनाना।
ताकि उससे पूरी इमेज आ सके।एक भी षटकोण सही नहीं सेट हुआ तब इमेज खराब हो जाएंगी।लॉन्चिंग के करीब 40 दिन के बाद जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप पहली तस्वीर लेगा।