नई दिल्ली: उपभोक्ताओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पॉजिटिव पे का नया नियम लागू करने का निर्णय लिया गया है। इसका मकसद चेक का दुरुपयोग रोकना है।
इसके साथ ही इससे फर्जी चेक के माध्यम से होने वाले फ्रॉड पर भी लगाम लगाई जा सकेगी।
‘पॉजिटिव पे’ सिस्टम के तहत किसी थर्ड पार्टी को चेक जारी (इश्यू) करने वाला व्यक्ति अपने बैंक को अपने चेक का डिटेल भी भेजेगा।
50,000 रुपए से ज्यादा रकम के चेक पॉजिटिव पे सिस्टम के तहत आएंगे।
इस सिस्टम से एक तरह जहां चेक का इस्तेमाल ज्यादा सुरक्षित बनेगा, वही चेक के क्लियरेंस में भी कम समय लगेगा।
चेक जारी करने वाले व्यक्ति को इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से चेक की तारीख, लाभार्थी का नाम, प्राप्तकर्ता और पेमेंट की रकम के बारे में दोबारा जानकारी देनी होगी।
चेक जारी करने वाला व्यक्ति यह जानकारी एसएमएस, मोबाइल ऐप, इंटरनेट बैंकिंग या एटीएम जैसे इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से दे सकता है।
इसके बाद चेक पेमेंट से पहले इन जानकारियों को क्रॉस-चेक किया जाएगा।
अगर इसमें कोई गड़बड़ी पाई जाती है तो सीटीएस (चेक ट्रंकेशन सिस्टम) से इस बारे में संबंधित दोनों बैंकों को जानकारी दी जाएगी। यानी जिस बैंक का चेक काटा गया है और जिस बैंक में प्रस्तुत किया गया है।
पॉजिटिव पे प्रक्रिया के तहत चेक इश्यू करने के बाद अकाउंट होल्डर को चेक की डिटेल बैंक के साथ साझा करनी होगी।
इसमें चेक नंबर, चेक डेट, पाने वाले का नाम, अकाउंट नंबर, अमाउंट आदि के साथ-साथ चेक के फ्रंट और रिवर्स साइड की इमेज भी शामिल है।
केंद्रीय बैंक के मुताबिक इस प्रक्रिया के तहत चेक जारी करने वाले व्यक्ति की तरफ से चेक के बारे में दी गई जानकारी के आधार पर ही उसे प्रोसेस किया जाएगा।
वॉल्यूम के लिहाज से देश में चेक के जरिए होने वाला 20 फीसदी ट्रांजेक्शन इस सिस्टम के दायरे में आएगा, जबकि वैल्यू के लिहाज से 80 फीसदी ट्रांजेक्शन इस सिस्टम के दायरे में आएगा।
अभी चेक ट्रंकेशन सिस्टम (सीटीएस) का इस्तेमाल चेक क्लीयरिंग के लिए होता है।
सीटीसी में क्लीयरिंग हाउस की ओर से इसकी इलेक्ट्रॉनिक फोटो अदाकर्ता शाखा को भेज दी जाती है।