न्यूज़ अरोमा पाकुड़: पारा शिक्षक जो आज अपनी मांग के लिए जाने कितना ही संघर्ष कर रहे हैं।
मानदेय से लेकर हर एक कदम पर अपने जीवन को संवारने की लड़ाई लड़ने के साथ साथ आज तीन विद्यालय के बच्चों की ज़िम्मेदारी उन बच्चों के भविष्य को संवारने की पूरी कोशिश में लगे हुए हैं।
जी हां हम हिरणपुर प्रखंड के तीन उस विद्यालय की बात कर रहे हैं जो शिक्षक विहीन हैं, जबकि विद्यालय सात पारा शिक्षकों के भरोसे संचालित हैं।
चालू वर्ष के दौरान प्रखंड के उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय अंगुठिया, उर्दू प्राथमिक विद्यालय दराजमाठ एवं ठुंगी बरमसिया में पदस्थापित एक-एक शिक्षक सेवा निवृत्त हो गए।
फलस्वरूप इन विद्यालयों में नामांकित 128 बच्चों का भविष्य अधर में लटक गया है।
हालात यह हैं कि प्रखंड के 101 विद्यालयों के लिए सृजित 364 पदों के विरूद्ध कुल 113 शिक्षक ही पदस्थापित हैं।
जाहिर है कि बच्चों के लिए घोषित गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा की स्थिति कैसी होगी।
शिक्षा का अधिकार अधिनियम के मद्देनजर अधिकतम 40 बच्चों पर एक शिक्षक का होना अनिवार्य है।
लेकिन यहां आज तक ऐसा हो नहीं पाया। प्रखंड के सात विद्यालय ऐसे हैं, जिनके संचालन की जिम्मेदारी पारा शिक्षकों पर है। इन स्कूलों में एक भी सरकारी शिक्षक नहीं हैं।
इनमें से प्राथमिक विद्यालय मंझलाडीह में 132 नामांकित बच्चों पर तीन पारा शिक्षक, उत्क्रमित मध्य विद्यालय खजूरडांगा में 200 बच्चों पर पांच शिक्षक हैं।
वहीं उत्क्रमित मध्य विद्यालय बिंदाडीह में 175 बच्चों पर दो प्राथमिक विद्यालय पीयरसोला नामांकित 45 बच्चों पर एक तथा प्राथमिक विद्यालय करणडांगा में 165 बच्चे सिर्फ एक पारा शिक्षक के भरोसे हैं।
जबकि विभागीय नियमानुसार सरकारी स्कूलों में कम से कम एक सरकारी शिक्षक का होना अनिवार्य है, ताकि पारा शिक्षकों की अनुपस्थिति विवरणी के संधारण के अलावा अन्य कार्य निष्पादित किए जा सकें।
इस संबंध में बकौल प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी दीनबंधु मोदी इस प्रखंड में प्रारंभ से ही शिक्षकों की कमी रही।
शिक्षकों की सेवानिवृत्ति जारी है लेकिन नई नियुक्ति हो नहीं रही है। इसका प्रतिकूल प्रभाव शिक्षा पर पड़ रहा है। शिक्षकों की नियुक्ति के बाद ही इसका समाधान संभव है।