रांची : कोरोना मरीज का इलाज अब आयुष्मान भारत योजना से जुड़ गया है।
यानी, अगर कोई व्यक्ति कोरोना से संक्रमित हो जाता है और वह आयुष्मान भारत योजना के तहत लाभुक (गोल्डेन कार्डधारी) हो, तो उस मरीज का इलाज पूरी तरह से मुफ्त में किया जायेगा।
यह जानकारी रविवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ मनसुख मांडविया ने दी।
दरअसल, रविवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ मनसुख मांडविया देश के विभिन्न राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों के साथ बैठक कर रहे हैं।
इस बैठक में झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता को सबसे पहले बोलने का मौका मिला, जिसमें उन्होंने अपनी बातों को रखा। इसमें बन्ना गुप्ता ने कोरोना मरीजों का इलाज आयुष्मान भारत योजना के तहत पूर्ण रूप से फ्री करने की मांग की।
इस पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने उन्हें बताया कि यह आयुष्मान भारत योजना से जुड़ गया है। इस पर गुप्ता ने इसे कड़ाई से लागू कराने का अनुरोध किया, ताकि प्राइवेट अस्पताल द्वारा इलाज के नाम पर आर्थिक दोहन बंद हो सके।
साथ ही बन्ना गुप्ता ने मांग की कि देश में सभी प्राइवेट अस्पतालों के लिए कोरोना के इलाज के लिए एक टैरिफ का निर्धारण हो, जिसमें एडमिशन से लेकर डिस्चार्ज तक का टैरिफ घोषित किया जाये, ताकि इलाज के नाम पर जो लूट हो रही है, उसे रोका जाये।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ मनसुख मांडविया ने राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता की मांगों पर सकारात्मक पहल करने की बात कही है।
बैठक में बन्ना गुप्ता ने सबसे पहले केंद्र सरकार से जीनोम सीक्वेंसिंग मशीन देने का आग्रह किया। उन्होंने बताया कि जब रिम्स को रिसर्च सेंटर की उपाधि मिल गयी है, तो यहां जीनोम सीक्वेंसिंग मशीन जरूर मिलनी चाहिए।
इसे स्वीकार करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, “आपकी मांगों पर जल्द प्रक्रिया के तहत झारखंड को मशीन उपलब्ध करायी जायेगी।”
बन्ना गुप्ता लगातार साहिया बहनों के मानदेय को दो हजार रुपये से सात हजार रुपये बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार से मांग करते आ रहे हैं।
इसी कड़ी में उन्होंने रविवार को अपनी मांग को दोहराते हुए जब मनसुख मांडविया से आग्रह किया, तो उन्होंने कहा, “आपकी मांग जायज है और संज्ञान में है। केंद्र सरकार जल्द इस पर फैसला लेगी।”
बन्ना गुप्ता ने मांग की कि मृत होने के बाद भी जो अस्पताल बकाया रकम के लिए शव को रोक देते हैं, इसके लिए भी एक कठोर कानून बने, ताकि कम से कम मृत्यु के बाद परिजनों को अंत्येष्टि करने के लिए परेशान न होना पड़े और ससम्मान शव की अंत्येष्टि हो सके।
उन्होंने केंद्र और राज्य की योजनाओं में अंशदान, जो अभी 60:40 है, उसे 90:10 करने का अनुरोध किया, ताकि राज्य सरकार अपनी व्यवस्था को मजबूती से सुदृढ़ कर सके।
बन्ना गुप्ता ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को बताया कि राज्य सरकार मांग करती है कि 15 से 18 साल की उम्र वाले बच्चों की उम्र-सीमा न्यूनतम घटाकर 12 साल से 18 साल करें, ताकि सभी स्कूल जानेवाले बच्चे इससे लाभान्वित हो सकें और स्कूलों-कॉलेजों में इसका प्रभाव कम हो सके।
उन्होंने कहा कि जब को-वैक्सीन बच्चों में लगाने की अनुमति आईसीएमआर और भारत ड्रग कंट्रोलर ने दी है, तो बच्चों के वैक्सीनेशन की उम्र सीमा 15 से 18 वर्ष में संशोधित करते हुए इसे 12 से 18 वर्ष किया जाये, ताकि अधिक से अधिक बच्चों को इसका फायदा मिल सके।