बेगूसराय: राज्यसभा सदस्य प्रो. राकेश सिन्हा ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में लाया गया कृषि कानून किसानी को लाभकारी करेगा।
किसानों के मोल-जोल की ताकत को बढ़ाएगा, किसानों को मंडी की गुलामी से मुक्त करेगा।
इसका विरोध करने वाले विरोधी दल खासकर शरद पवार और राहुल गांधी अपने दोहरे चरित्र का परिचय दे रहे हैंशरद पवार ने जिस बात की स्वयं दलील दी थी और कृषि मंत्रियों को पत्र लिखा था, अब उसी से पलट रहे हैं।
जबकि राहुल गांधी को तो कृषि का एबीसीडी भी नहीं पता है।
वह क्या बोलते हैं क्या नहीं बोलते हैं, इसका महत्व किसानों पर असर पड़ता है और ना ही सरकार पर।
सोमवार को अपने गृह जिला बेगूसराय में आयोजित पत्रकार वार्ता में उन्होंने कहा कि नरेन्द्र मोदी की सरकार लोकतांत्रिक व्यवस्था में विश्वास करती है।
सरकार सहृदयता के साथ किसानों से वार्ता कर रही है, लोकतंत्र में कोई शब्द अंतिम नहीं होता है।
किसानों के हित में जो भी रचनात्मक सुुुुझाव आएगा, सरकार उन सुझाव को मूर्त रूप देने के लिए तैयार है।
इन तीन कानूनों के द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कृषि क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन करते हुए देश के हाशिए पर रहे लघु और मध्यम स्तर के किसानों के सम्मान तथा समृद्धि का रास्ता खोला है।
किसानों को मंडी से मुक्ति दिलाया जा रहा है।
डेयरी क्रांति की तरह यह कानून किसानों के लिए सबसे बड़ी क्रांति साबित होगी। वामपंथी का चरित्र ही विरोध करना है और विरोध करते करते वे खुद समाप्त हो रहे हैं।
असम में मदरसा बंद करने के आदेश पर उठे सवाल पर प्रो. सिन्हा ने कहा कि सरकार उन संस्थाओं का आधुनिकीकरण कर रही है, जिन संस्थाओं में भारत के संविधान और उसकी अवधारणा के अनुरूप शिक्षा नहीं मिल पाती है।
शिक्षा का आधुनिकीकरण और वैज्ञानिककरण करना सरकार का लक्ष्य है।
असम के सरकार द्वारा मदरसा के संबंध में दिए गए आदेश को लेकर भ्रम फैलाया जा रहा है।
सरकार उन्हीं मदरसों को बंद कर रही है जिनमें छात्र नहीं है या उनका रजिस्ट्रेशन नहीं है यानी जो अवैध हैं।
प्रेस वार्ता के दौरान प्रो. राकेश सिन्हा ने डीएम से 60 प्रतिशत समय कार्यालय में और 40 प्रतिशत समय जनता के बीच देने की अपील करते हुए कहा कि राजनीतिक और प्रशासनिक अधिकारी के सामंतवादी चरित्र को समाप्त किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि बिहार के एक मात्र रामसर साइट बने काबर के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संरक्षण और पर्यटन की संभावना बढ़ गई है। अब चक्रव्यूह में फंसे वहां के किसानों को राहत दिलाना है।
मटिहानी और शाम्हो के बीच गंगा नदी पर पुल बनाने के प्रति सरकार की गंभीरता बढ़ गई है। सभी कानूनों, नियमों और परंपरा को दरकिनार कर डीपीआर बनाने की अनुमति दी गई है।
यह पुल चार राज्यों के सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन को एक करेगा, दो राष्ट्रीय उच्च पथ को मिलाएगा।
जनवरी से विशेष अभियान चलाकर बिहार के सभी जिलों में 101 शिक्षण संस्थानों का भ्रमण करेंगे।
जिसमें शिक्षक, छात्र और स्थानीय लोगों से मिलकर समस्या समाधान पर विमर्श करते हुए रिपोर्ट मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री को देंगे।