ढाका: बांग्लादेश के विदेश मंत्री डॉ. ए.के. अब्दुल मोमन ने रविवार को कहा कि जीत का महीना आगामी भारत-बांग्लादेश प्रधानमंत्रियों के समिट में बड़े पैमाने पर छाया रहेगा।
यह भारत के लिए भी एक जीत है क्योंकि उन्होंने 1971 में जीत हासिल करने में बांग्लादेश की मदद की थी और हमें तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के योगदान को जरूर स्वीकार करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि बांग्लादेश 17 दिसंबर को प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनके भारतीय समकक्ष नरेंद्र मोदी के बीच वर्चुअल मीटिंग के दौरान पानी और सीमा सहित सभी प्रमुख मुद्दों को उठाएगा।
विदेश मंत्री ने अपने कार्यालय में पत्रकारों से कहा, हम अपने प्रमुख मुद्दों को उठाएंगे, जो हम आमतौर पर उठाते हैं।
उन्हंोने कहा कि कई त्वरित-प्रभाव वाली परियोजनाओं का उद्घाटन किया जाएगा।
अब्दुल मोमन ने पाकिस्तान की जेल में बंद बांग्लादेश के जनक बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान को 1972 में सकुशल वापस लाने के लिए भारत और ब्रिटेन की तत्कालीन सरकारों के योगदान को याद करते हुए कहा, हमें इनके योगदान को जरूर स्वीकारना चाहिए।
उन्होंने कहा कि बांग्लादेश और भारत के संबंध ऐतिहासिक और खून के हैं और भारत बांग्लादेश का समय पर परखा गया मित्र है, इसलिए, भारत के पास हमारी जीत पर गर्व करने का कारण है।
अब्दुल मोमन ने इस बात का भी जिक्र किया कि बांग्लादेश और भारत अपने संबंधों में एक स्वर्णिम अध्याय देख रहे हैं।
उन्होंने कहा, दोनों देशों ने बातचीत और चर्चाओं के माध्यम से एलबीए और समुद्री सीमाओं जैसे मुद्दों को हल करके एक उदाहरण पेश किया है।
उन्होंने कहा कि उनका मानना है कि दोनों देश वार्ता के माध्यम से सभी मुद्दों को हल कर सकते हैं।
विदेश मंत्री ने कहा, प्रधान मंत्री शेख हसीना ने समस्याओं को हल करने में नेतृत्व की परिपक्वता दिखाई है।
प्रधानमंत्री शेख हसीना और मोदी के बीच समिट के दौरान कुछ अन्य परियोजनाओं के साथ-साथ चिलाहाटी-हल्दीबाड़ी रेल लिंक का उद्घाटन किया जाएगा।
एक सवाल के जवाब में, अब्दुल मोमन ने कहा कि स्वाधीनता सड़क (मेमोरी ऑफ इंडिपेंडेंस) नाम की एक सड़क अगले साल 26 मार्च को बांग्लादेश की आजादी के 50 साल पूरे होने के अवसर पर खोली जाएगी।
उन्होंने कहा कि यह सड़क भारत की तरफ से फंक्शनल बनी हुई है, जबकि यह मेहरपुर जिले के मुजीबनगर से जुड़ेगी।
विदेश मंत्री ने कहा, यह दोनों देशों के लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने में मदद करेगा।
बांग्लादेश ने मोदी को 26 मार्च को संयुक्त रूप से स्वतंत्रता दिवस मनाने के लिए आमंत्रित किया है, और भारत सरकार ने सैद्धांतिक रूप से निमंत्रण स्वीकार कर लिया है।