नई दिल्ली: केंद्रीय विश्वविद्यालयों समेत सहित देश भर के सभी विश्वविद्यालय अब डीजी लॉकर में रखे सर्टिफिकेट के जरिए छात्रों को दाखिला देंगे।
देशभर में कोरोना के मौजूदा हालात और छात्रों की सुविधा को देखते हुए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यानी यूजीसी ने डीजी लॉकर में रखी डिग्री को मान्यता दी है।
इस संबंध में यूजीसी ने देशभर के केंद्रीय विश्वविद्यालयों के लिए आवश्यक निर्देश भी जारी किया है। इसके साथ ही दाखिले का पारंपरिक तरीका भी मान्य रहेगा।
यूजीसी ने देशभर के विश्वविद्यालयों हेतु जारी किए गए अपने निर्देश में कहा है कि यदि दाखिले के समय कोई छात्र डीजी लॉकर में रखी डिग्री प्रस्तुत करे तो विश्वविद्यालयों को उसे मान्यता देनी होगी।
गौरतलब है कि यूजीसी वर्ष 2017 से ही सर्टिफिकेट को डिजिटल करने पर जोर दे रहा है। इसके तहत ही नैड (नेशनल एकेडमिक डिपॉजिटरी) में भी सभी सर्टिफिकेट और डिग्रियों को अपलोड करने का निर्देश दिया गया था।
यूजीसी का कहना है कि केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की पहल पर छात्रों के सर्टिफिकेट को डीजी लॉकर में रखने की सुविधा दी जा रही है।
दिल्ली विश्वविद्यालय पहले ही अपने हजारों छात्रों का डाटा डीजी लॉकर के जरिए सुरक्षित करना शुरू कर चुका है।
यह कार्रवाई छात्रों को डिजिटल डिग्री प्रदान करने में मदद करती है। इसके साथ ही दिल्ली विश्वविद्यालय ने पारंपरिक तरीके से दी जाने वाली डिग्रियां छपवाने का आदेश भी जारी किया है।
दिल्ली विश्वविद्यालय में परीक्षा विभाग के ऑफिसिएटिंग डीन डीएस रावत ने कहा, दिल्ली विश्वविद्यालय की परीक्षा प्रणाली में कई सुधार शुरू किए गए,
जैसे एक ही दिन में रिकॉर्ड 1.78 लाख डिजिटल डिग्री जारी करना, 28 दिनों में सभी यूजी पाठ्यक्रमों के परिणाम घोषित करना।
यहां एक साल की छोटी अवधि में पूरी परीक्षा प्रणाली को डिजिटल कर दिया है। वहीं वर्ष 2020 सितंबर में ही 27,000 छात्रों के डेटा को डिजीलॉकर में स्थानांतरित कर दिया गया था।
गौरतलब है कि दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों को डिग्री के लिए विश्वविद्यालय ने एक ऑनलाइन पोर्टल शुरू किया है।
इसके जरिए छात्रों को डिजिटल डिग्री, सर्टिफिकेट जारी किए गए हैं। वहीं दूसरी ओर इसके साथ ही दिल्ली विश्वविद्यालय ने डिग्रियों की प्रिंटिंग भी करवाई है।
दिल्ली विश्वविद्यालय में परीक्षा विभाग के मुताबिक छात्रों की तत्काल जरूरतों के लिए डिजिटल डिग्री जारी की गई हैं।
प्रोविजनल डिग्री जारी करने के प्रावधान को मंजूरी दी गई है। विश्वविद्यालय यह सुनिश्चित करेगा कि किसी छात्र को नुकसान न हो।
छात्रों ने उक्त पोर्टल पर पंजीयन करवाने के बाद उनकी अकादमिक योग्यता, कॉलेज का नाम आदि जानकारी दी और सत्यापन पूरा होने के बाद डीयू हफ्तेभर के भीतर डिजिटल डिग्री, सर्टिफिकेट जारी किए।
डीयू ने दावा किया कि वह पहला ऐसा भारतीय विश्वविद्यालय है जो ऐसे दस्तावेजों को ऑनलाइन माध्यम से जारी कर रहा है।