बोकारो: 6 जनवरी को जो वैक्सीन अभियान चलाया गया उसमें एक व्यक्ति के साथ चमत्कार हुआ। आदिवासी व्यक्ति की खोई हुई आवाज वैक्सीन लेने से वापस आ गयी।
ये घटना पेटरवार के सलगाडीह गांव की है। जहां 55 साल के आदिवासी दुलारचंद मुंडा ने कभी सोचा भी नहीं था कि कोरोना से बचने के लिए छह जनवरी को जो वैक्सीन लगवाई, वह उनकी जिंदगी ही बदल देगी।
सड़क हादसे में खोई थी आवाज
चार साल पहले सड़क हादसे में उन्होंने अपनी आवाज खो दी थी। चल नहीं पा रहे थे। टीका क्या लगवाया आवाज वापस आ गई। दुलारचंद इतने खुश कि मानो उनके जीवन में खुशियों की बारिश हो गई हो।
आवाज लौट आई
दुलारचंद ने बताया कि चार साल पहले की बात है। एक सड़क दुर्घटना में बुरी तरह घायल हो गया था। चलने-फिरने में असमर्थ था। आवाज भी चली गई।
दुर्घटना के बाद से बिस्तर पर ही जीवन गुजर रहा था। जमीन बेचकर इलाज में लाखों खर्च किए। कोई फायदा नहीं हुआ।
इस बीच पता चला कि महामारी से बचने को घर-घर टीका दिया जा रहा है। हमारे यहां लोग आए और कोविशील्ड वैक्सीन लगाई।
एक-दो दिन में ही इसका असर दिखा। हमारे अंग हरकत करने लगे। चार साल से बेड पर पड़ा था, किसी प्रकार पैर पर भी खड़े हो गए।
आवाज लौट आई। गांव के महेंद्र मुंडा कहते हैं कि यह तो चमत्कार हो गया। हम सभी तो आशा छोड़ चुके थे कि ये कभी बोल भी पाएंगे। ये वैक्सीन का ही प्रभाव लग रहा है कि उनकी आवाज लौट आई।