जेनेवा: कोरोना से जूझती दुनिया को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ओर से उम्मीद की किरण दिखाई दी है।
दुनिया के शीर्ष स्वास्थ्य निकाय डब्ल्यूएचओ ने कोरोना की दो नयी दवाओं को मंजूरी प्रदान की है। इनमें से एक दवा गंभीर मरीजों के लिए और एक सामान्य मरीजों के लिए है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के शीर्ष दिशानिर्देश विकास समूह (गाइडलाइन डेवलपमेंट ग्रुप) के विशेषज्ञों ने कहा कि गंभीर रूप से कोरोना पीड़ित मरीजों के लिए कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स के साथ इस्तेमाल की जाने वाली गठिया की दवा बारिसिटिनिब कारगर साबित हुई है।
इस दवा का इस्तेमाल प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने तथा रक्त व अस्थिमज्जा कैंसर के मरीजों के उपचार में भी होता है।
डब्ल्यूएचओ की टीम ने सामान्य कोविड मरीजों के लिए सोट्रोविमैब के इस्तेमाल की मंजूरी दी है। यह उन मरीजों के लिए प्रभावी साबित हो सकती है, जिनमें कोरोना तो गंभीर स्थितियों में नहीं है किन्तु अस्पताल में भर्ती होने की स्थिति में जोखिम वाले हैं।
इनमें मधुमेह व कमजोर प्रतिरक्षा तंत्र वाले मरीज तथा बुजुर्ग शामिल हैं।
डब्ल्यूएचओ तेजी से बढ़ रहे कोरोना को लेकर खास चिंतित है। हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट में अगले दो माह में आधे यूरोप के कोरोना की चपेट में आने की भविष्यवाणी की गयी थी।
इन स्थितियों में नयी दवाओं के मंजूरी से कोरोना संकट से जूझ रहे चिकित्सक समूहों में उम्मीद की किरण जगी है। उनका मानना है कि इन दवाओं के कारण मरीजों के जिंदा बचने की संभावनाएं बढ़ेंगी।
साथ ही कोरोना पीड़ितों के लिए वेंटिलेटर की जरूरत में भी कमी आएगी।