नई दिल्ली: भारतीय नौसेना ने पिछले साल के अंत में, दो शक्तिशाली स्वदेश निर्मित पोत – आईएनएस विशाखापत्तनम और आईएनएस वेला को शामिल किया था।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 21 नवंबर, 2021 को विशाखापत्तनम में इन्हें भारतीय नौसेना में शामिल किए जाने वाले समारोह में अपने भाषण में एक सुरक्षित और मुक्त भारत प्रशांत क्षेत्र सुनिश्चित करने और देश के आर्थिक हितों की रक्षा करने में नौसेना की भूमिका को रेखांकित किया था।
इस पृष्ठभूमि में, यह विचार करने का सही समय है कि हमारे समुद्र हमारे जीवन को प्रत्येक हिस्से को कैसे प्रभावित करते हैं, जिसमें भीतरी इलाकों में रहने वाले लोग भी शामिल हैं।
यह भी विचारणीय है कि ऐसा क्या है जो नौसेना करती है, जो इसे राष्ट्र के साथ-साथ विश्व की आर्थिक आकांक्षाओं की रक्षा करने में पसंदीदा बनाता है?
ज्ञात इतिहास के दौरान व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान समुद्री मार्गों के माध्यम से किया गया है और समुद्र परंपरागत रूप से वाणिज्य एवं नए क्षेत्रों की खोज के राजमार्ग रहे हैं।
समुद्री व्यापार और वाणिज्य ऐसी आर्थिक गतिविधियाँ हैं, जिन्हें पनपने के लिए एक सुरक्षित और अनुकूल वातावरण की आवश्यकता होती है और इसी जरूरत के कारण नौसेनाओं का विकास हुआ है।
चोलों के पास 13वीं शताब्दी तक एक शक्तिशाली नौसेना थी, जिसने उन्हें दक्षिण पूर्व एशिया तक व्यापार करने और अपना प्रभाव स्थापित करने में सक्षम बनाया था।
दुनिया का सबसे बड़ा मंदिर, कंबोडिया में अंगकोर वाट, इस तथ्य की गवाही देता है। वास्को डी गामा ने समुद्री मार्ग के माध्यम से पश्चिम की ओर से 1498 में भारत की खोज की थी।
यूरोपीय शक्तियों के साम्राज्यवादी मंसूबे उस समय तक काबू में रहे जब तक भारतीय तटों की रक्षा करने वाली एक विश्वसनीय नौसेना हमारे पास थी।
18 वीं शताब्दी के मध्य में मराठा नौसैनिक शक्ति के पतन ने यूरोपीय शक्तियों, विशेष रूप से अंग्रेजों को अपने प्रसार करने में काफी मदद मिली थी।
अंग्रेजों ने भारतीय उपमहाद्वीप में अपनी विजय और लूटखसोट अभियानों को समुद्री मार्गों के जरिए ही अंजाम दिया था।
इस प्रकार,यह स्पष्ट है कि सदियों तक सक्षम नौसैनिक बलों की उपस्थिति ने हमें फलने-फूलने का मौका दिया । लेकिन समय के साथ साथ नौसेना शक्ति कमजोर हो गई, जिसके कारण भारतीय उपमहाद्वीप पर दूसरी शक्तियों की विजय, इसका पतन और शोषण शुरू हुआ।
सरल शब्दों में कहें तो सामान्य तौर पर दुनिया की, और विशेष रूप से भारत की समुद्री व्यापार पर निर्भरता कभी इतनी नहीं रही जितनी अब है। भारतीय व्यापार का कुल 95 प्रतिशत मात्रात्मक तौर पर समुद्री मार्ग से होता है।
पेट्रोल पंपों पर जो ईंधन हम अपने वाहनों में भरते हैं, उसका लगभग 80 प्रतिशत समुद्री मार्ग से देश में लाया जाता है। इसी तरह, स्मार्टफोन , टेलीविजन कंप्यूटर और लगभग सभी सेमीकंडक्टर चिप्स,उपकरण,बैटरी, डिस्प्ले जैसे हिस्से भी देश में समुद्र के जरिए आयात किए जाते हैं।
दूसरी ओर, भारत में निर्मित सभी ऑटोमोबाइल, कच्चा माल, खाद्यान्न और अन्य सामग्री पूरी दुनिया में समुद्री मार्ग से निर्यात की जाती है।
समुद्री व्यापार के महत्व को थोड़ा बेहतर ढंग से समझने के लिए यह भी जानना जरूरी है कि 23 मार्च, 2021 को स्वेज नहर में क्या हुआ।
एमवी एवर गिवेन, एक 400 मीटर लंबा कंटेनर वाहक, जो 17,000 कंटेनरों से भरा हुआ था वह दुनिया के इस सबसे व्यस्त जलमार्ग में फंस गया था।
छह दिन तक अटके रहने के बाद आखिरकार उसे बाहर निकाला गया। इस अवधि के दौरान स्वेज नहर की रुकावट ने दुनिया भर के कार्गो परिवहन को बुरी तरह प्रभावित किया।
स्वेज पूरे विश्व के समुद्री व्यापार का 12 प्रतिशत वहन करता है और पूरे छह दिनों के लिए एक जहाज के कारण विश्व के समुद्री व्यापार का लगभग दसवां हिस्सा बाधित हो गया था।
इस अकेली घटना के कारण विश्व समुद्री व्यापार को हुए पूरे नुकसान का शायद कभी भी सटीक आकलन नहीं किया जा सकता है क्योंकि इस घटना के बाद के प्रभाव से अभी भी कुछ व्यक्ति और एजेंसियों उभरी नहीं सकी है । यह दर्शाता है कि हमारे व्यक्तिगत जीवन पर समुद्री व्यापार पर निर्भरता का कितना गहरा असर है।
एवर गिवेन घटना भले ही मानवीय भूल के कारण हुई है लेकिन अन्य व्यस्त जलमार्गों में जानबूझकर सैन्य कार्रवाई या पूर्व नियोजित आतंकवादी हमले के माध्यम से ऐसी घटना की एक गंभीर संभावना बनी हुई है।
कल्पना कीजिए कि भारत जैसे आयात पर निर्भर देश पर इसका क्या प्रभाव पड़ सकता है। इसमें कोई शक नहीं है कि विश्व समुद्री व्यापार सभी प्रकार के खतरों के प्रति संवेदनशील बना हुआ है और इसके लिए सुरक्षा की आवश्यकता है।
कोई भी देश जब वैश्विक उत्पादन केंद्र बनने की ओर अग्रसर होता है तो उसे कच्चे माल, तेल और पेट्रोलियम लाने और तैयार उत्पादों को दुनिया भर में अपने गंतव्य तक ले जाने के लिए अधिक से अधिक समुद्री व्यापार की आवश्यकता होती है, जिससे रोजगार, विकास और समृद्धि के रास्ते खुलते हैं।
इस तरह के विशाल और विविध समुद्री व्यापार के लिए पारंपरिक और गैर-पारंपरिक खतरों से सुरक्षा की आवश्यकता होती है तथा इतिहास गवाह है कि ऐसी सुरक्षा केवल एक सक्षम एवं पेशेवर नौसेना ही प्रदान कर सकती है।
भारतीय नौसेना सी लाइन्स ऑफ कम्युनिकेशन (एसएलओसी) के संरक्षण के माध्यम से देश के समुद्री व्यापार की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बाध्य है।
यह भारतीय नौसेना का प्राथमिक सैन्य मिशन है और इसे सुिनश्चिति करने के लिए नौसेना के जहाजों और विमानों से एसएलओसी की निगरानी तथा गश्त की जाती है।
व्यापार की सुरक्षा भारतीय नौसेना के लिए एक सतत और सर्वव्यापी मिशन है लेकिन देश की विशाल तटरेखा, अपतटीय विकास क्षेत्रों और द्वीप क्षेत्रों की सुरक्षा उसका एक महत्वपूर्ण मिशन भी है।
जिस तरह भारतीय सेना और सीमा सुरक्षा बल पड़ोसी देशों के बाहरी हमलों से अपनी सीमा की रक्षा करते हैं उसी प्रकार भारतीय नौसेना राष्ट्रविरोधी तत्वों कीे देश में घुसपैठ रोकने के लिए मुस्तैद तथा प्रतिबद्व है।
मुंबई पर 26/11 के आतंकवादी हमलों के बाद, एक व्यापक तटीय रडार नेटवर्क और निगरानी तंत्र स्थापित किया गया है। तटीय क्षेत्रों में विभिन्न राज्यों के बलों, भारतीय नौसेना की नौकाओं, तट रक्षक बल,विमानों और समुद्री पुलिस द्वारा लगातार गश्त की जाती है।
भारतीय नौसेना बड़े पैमाने पर मादक पदार्थों की तस्करी के प्रयासों को विफल करने में सफल रही है, जिसे हैश हाईवे पर अंजाम दिया जाता है।
अफगानिस्तान से नशीले पदार्थों की तस्करी समुद्री मार्ग से मकरान तट से पूर्वी अफ्रीका, मध्य पूर्व, मालदीव और श्रीलंका में भेजे जाने के लिए की जाती है।
आईएनएस सुवर्णा ने अप्रैल 2021 में, पाकिस्तान से आई 3,000 करोड़ रुपये के नशीले पदार्थों की खेप को केरल तट से मछली पकड़ने वाली एक नाव से जब्त किया।
इन नशीले पदार्थों की खेप की जब्ती ने सुनिश्चित किया कि उनकी बिक्री से उत्पन्न धन अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठनों के वित्तपोषण में नहीं जाएगा।
भारतीय नौसेना के मिशन और तैनाती का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि उच्च समुद्री क्षेत्रों के साथ-साथ तटीय क्षेत्र में भी अनुकूल परिस्थितियां बनाई जाएं ताकि राष्ट्र आर्थिक प्रगति की तरफ अग्रसर होता रहे।
अब यदि अगली बार जब आप एक बड़ी परिष्कृत पवनचक्की को चुपचाप चलते हुए देखें या अपने घर के ऊपर एक सौर ऊर्जा पैनल देखें, तो याद रखें कि भारतीय नौसेना के जहाज और विमान पूरे समय गश्त पर हैं।
इसके जरिए यह सुनिश्चित किया जाता है ताकि इन महत्वपूर्ण सामानों को ले जाने वाले बिना जहाज किसी भय और नुकसान के आगे बढ़ते रहें और आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करते रहें।