मुंबई: शेतकरी (किसान) कामगार पक्ष (शेकाप) के वरिष्ठ नेता प्राध्यापक नारायण ज्ञानदेव उर्फ एनडी पाटिल (93) का सोमवार को सुबह कोल्हापुर के निजी अस्पताल में निधन हो गया।
एनडी पाटिल का जन्म कोल्हापुर के सामान्य परिवार में 15 जुलाई 1929 में हुआ था। बचपन से लोगों की समस्याओं से लडने वाले एनडी पाटिल ने एमए तक शिक्षा ग्रहण करने के बाद वकालत की पढ़ाई पूरी की।
इसके बाद कोल्हापुर के कालेज में प्राध्यापक बने। एनडी पाटिल 1948 में शेकाप से जुड़ गए। 1985 से 90 तक वे विधानसभा के सदस्य बने।
इसी दौरान उन्होंने बतौर सहकार मंत्री राज्य के नागरिकों के लिए महत्वपूर्ण काम किया। महाराष्ट्र की हर समस्याओं पर उनकी नजर रहती थी तथा हर कार्यकर्ता अथवा नागरिक से वे बिना अपाईंटमेंट आसानी से उपलब्ध रहा करते थे।
उनकी तबीयत खराब होने के बाद उन्हें कोल्हापुर के निजी अस्पताल में ब्रेन स्ट्रोक की वजह से उनका इलाज पिछले कुछ दिनों से इलाज जारी था, लेकिन आज सुबह उन्होंने अस्पताल में ही अंतिम सांस ली।
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि एनडी पाटिल सामान्य ही नहीं अति सामान्य व्यक्तित्व के धनी थे।
उनसे मिलने के लिए कभी किसी को समय नहीं लेना पड़ता था। महाराष्ट्र के विकास में एनडी पाटिल का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
उनके निधन से महाराष्ट्र की अपूरणीय क्षति हुई है। ग्राम विकास मंत्री हसन मुश्रीफ ने कहा कि एनडी पाटिल महाराष्ट्र की राजनीति की चलती फिरती विद्यापीठ थे।
महाराष्ट्र की हर समस्याओं और उनके समाधान के बारे में उन्हें जानकारी थी, इसीलिए वे हर समस्या का अचूक हल सुझाया करते थे।
राज्य के सहकार मंत्री के रूप में उनके काम आज भी युवा पीढ़ी के लिए मार्गदर्शक हैं। हसन मुश्रीफ ने कहा कि एनडी पाटिल के निधन से जो नुकसान हुआ है, उसे कभी भी भरा नहीं जा सकता है।