नई दिल्ली: कोरोना बढ़ते मामलों को लेकर अलग-अलग राज्यों लगने वाले प्रतिबंधों का सीधा असर आर्थिक गतिविधियों और कारोबार पर पड़ा है।
इसके चलते देशभर के व्यापार में पिछले 15 दिनों में औसतन 50 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है।
देश में कुल रिटेल व्यापार लगभग 150 लाख करोड़ रुपये का होता है। यह जानकारी सोमवार को कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने दी।
कैट ने केंद्र सरकार एवं सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से कहा कि कोरोना से बचाव के लिए हर संभव उठाए जा रहे कदम को लेकर कोई दो राय नहीं हो सकती है लेकिन प्रतिबंधों के साथ व्यापारिक और आर्थिक गतिविधियां भी सुचारू रूप से चलती रहें,
इसको ध्यान में रखकर देशभर के व्यापारी संगठनों के साथ राय-मशविरा लेकर यदि कोरोना से संबंधित प्रतिबंध के कदम उठाए जाएं तो ज्यादा बेहतर होगा।
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि दिल्ली में ऑड-ईवन जैसे कदम निरर्थक प्रयास साबित हुए है, जिसने सुचारू रूप से चल रही व्यावसायिक गतिविधियों को प्रतिबंधित कर दिया है।
उन्होंने कहा कि इस प्रकार के प्रतिबंधों के साथ साप्ताहिक लॉकडाउन ने व्यावसायिक गतिविधियों को या तो सिर्फ दो दिन या एक हफ्ते में तीन दिनों के व्यापार करने लायक छोड़ा है, जिससे कारोबारी गतिविधियां बहुत हद तक कम हो गई हैं।
खंडेलवाल ने कहा कि दिल्ली के व्यापार का सदियों पुराना विराट स्वरूप रहा है, जो कोरोना के चलते विकृत हो गया और धीरे-धीरे यहां का व्यापार अन्य राज्यों में स्थानांतरित हो रहा है।
खंडेलवाल के मुताबिक कैट के रिसर्च संगठन कैट रिसर्च एंड ट्रेड डेवलपमेंट सोसाइटी ने 1 से 15 जनवरी, 2022 तक देश के विभिन्न राज्यों के 36 शहरों के बीच एक सर्वे किया, जिससे पता लगा कि बीते दो हफ्तों में देश के घरेलू व्यापार में लगभग 50 फीसदी से ज्यादा की औसतन गिरावट आई है।
इस गिरावट की मुख्य वजह कोविड-19 की तीसरी लहर से लोगों में घबराहट, पड़ोसी शहरों से सामान खरीदने न आना, व्यापारियों के पास पैसे की तंगी, उधार में बड़ी रकम का फंसना और बिना व्यापारियों से सलाह लिए बेतरतीब तरीके से प्रतिबंध लगाना भी शामिल है।
कैट महामंत्री ने बताया कि मौटे तौर पर एफएमसीजी में 35 फीसदी, इलेक्ट्रॉनिक्स में 50 फीसदी, मोबाइल में 50 फीसदी, दैनिक उपभोग की वस्तुओं में 35 फीसदी, फुटवियर में 60 फीसदी, ज्वेलरी में 35 फीसदी, खिलौनों में 65 फीसदी, गिफ्ट आइटम्स में 70 फीसदी,
बिल्डर हार्डवेयर में 50 फीसदी, सैनेटरीवेयर में 50 फीसदी, परिधान तथा कपड़े में 40 फीसदी, कॉस्मेटिक्स में 30 फीसदी, फर्नीचर में 50 फीसदी, फर्निशिंग फैब्रिक्स में 50 फीसदी,
इलेक्ट्रिकल सामान में 40 फीसदी, सूटकेस एवं लगेज में 50 फीसदी, खाद्यान्न में 30 फीसदी, रसोई उपकरणों में 45 फीसदी, घड़ियों में 40 फीसदी, कंप्यूटर एवं कंप्यूटर के सामान में 35 फीसदी, कागज एवं स्टेशनरी में 40 फीसदी के कारोबार की अनुमानित गिरावट है।
खंडेलवाल ने कहा कि शादियों के सीजन का व्यापार जो मकर संक्रांति के दिन 14 जनवरी से शुरू हो गया है, जिससे आगामी ढाई महीने में लगभग 4 लाख करोड़ रुपये के व्यापार होने का अनुमान था।
उसमें विभिन्न राज्य सरकारों के प्रतिबंधों से इस व्यापार में गिरावट आई है। अब यह अनुमान है कि व्यापार के इस वर्टिकल में आगामी ढाई महीने में लगभग 1.25 लाख करोड़ रुपये का व्यापार होने की संभावना है, जिससे अकेले इसी सेक्टर में 2.5 लाख करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान है।
बता दें कि अन्य राज्यों से लगभग 5 लाख व्यापारी प्रतिदिन अपनी जरूरतों के लिए दिल्ली आते थे लेकिन कोविड प्रतिबंधों के कारण अब उन्होंने दिल्ली आना बंद कर दिया है।
इससे दिल्ली के व्यापार पर पड़ने वाला प्रतिकूल प्रभाव निकट भविष्य में दिखेगा।