रांची: भाषा विवाद और नियोजन नीति को लेकर झामुमो के अंदर ही विरोध के स्वर उठने लगे हैं।
मंत्री जगरनाथ महतो ने पिछले दिनों मुख्यमंत्री को भोजपुरी, मगही और अंगिका जैसी भाषाओं को नियुक्ति प्रक्रिया की भाषा सूची से हटाने के लिए पत्र लिखा था। अब सिल्ली के पूर्व विधायक और झामुमो नेता अमित कुमार महतो ने भी यही आवाज उठायी है।
अमित कुमार ने अपने फेसबुक वॉल पर भाषा विवाद और नियोजन नीति पर अपनी ही सरकार को घेरा है। सरकार को एक माह का समय दिया है।
ऐसा नहीं होने पर 20 फरवरी को पार्टी से इस्तीफा देने की धमकी दी है। अमित महतो ने अपने फेसबुक पर लिखा है कि सरकार खतियान आधारित स्थानीय और नियोजन नीति बनाये। बाह्य भाषाओं को क्षेत्रीय भाषाओं की सूची से हटाया जाये।
इसके अलावा उन्होंने जेपीएससी और जेएसएससी के ऊपर भी सवाल उठाये हैं। इसे पूरे देश का सबसे भ्रष्ट आयोग बताया है।
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने अमित महतो के इस्तीफे की धमकी पर चुटकी लेते हुये कहा है कि उन्हें अपना इस्तीफा तैयार रखना चाहिये।
क्योंकि, मौजूदा सरकार को झारखंडी और झारखंडी भावनाओं से कोई सरोकार नहीं है। मैनिफेस्टो में दिये वायदे को भूल गयी है। ट्रांसफर-पोस्टिंग चरम पर है। यहां तो मंत्रियों की भी नहीं सुनी जा रही है।