रांची: राजधानी रांची के होटवार स्थित बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार में बंद पूर्व नक्सली कृष्ण मोहन झा उर्फ अभयजी उर्फ विकासजी उर्फ धनंजय उर्फ काली झा की मौत हो गई।
लीवर की बीमारी से ग्रसित था। तबीयत खराब होने के बाद उसे जेल अस्पताल में एडमिट कराया गया था, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
रिम्स से हुआ था फरार
सजायाफ्ता कृष्ण मोहन झा पिछले साल 19 सितम्बर की भोर तीन बजे रिम्स से फरार हो गया था। उसके लीवर संक्रमण का इलाज डॉ सीबी शर्मा के वार्ड में चल रहा था। अस्पताल में उसकी मां रहती थी। भागने से एक दिन पूर्व भाई मुलाकात करने रिम्स पहुंचा था। उसने भाई की सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों को मिठाई खिलाई थी।
अस्पताल में उसे हथकड़ी नहीं लगाई गई थी, जिस कारण मौका देखकर वह भाग गया था। बाद में उसे मुजफ्फरपुर से गिरफ्तार कर रांची लाया गया। इस मामले में बरियातू थाना में प्राथमिकी दर्ज हुई थी।
बिहार के मुजफ्फरपुर का रहने वाला था मृतक
मृतक पूर्व नक्सली कृष्ण मोहन झा मूल रूप से बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के कुढ़नी थाना क्षेत्र के बथना परिया का रहने वाला था। उसका झारखंड के हजारीबाग जिले के चौपारण थाना क्षेत्र स्थित असवाल चौक और लातेहार के अंबा कोठी में भी आवास था।
जेल प्रशासन की ओर से शुक्रवार को पूरी प्रक्रिया करने के बाद शव उसकी पत्नी और भाई को सौंप दिया गया। शव को परिवार वाले अंत्येष्टि के लिए मुजफ्फरपुर ले गए।
बीएचयू में पढ़ाई के दौरान ही बन गया नक्सली
जानकारी के अनुसार, बीएचयू से स्नातक कृष्णमोहन झा पढ़ाई के दौरान एमसीसी का पोलित ब्यूरो सदस्य बन गया। बाद में वह सामाजिक जीवन छोड़कर हार्डकोर नक्सली बन गया। उसे कोयल शंख जोन का एरिया कमांडर बनाया गया था।
वह वर्ष 2016 में पंडरा ओपी क्षेत्र के पंडरा से मार्बल कारोबारी राजू मंडल को अगवा कर हत्या करने के मामले में पकड़ाया था। इस मामले में उसे उम्रकैद की सजा हुई थी।
इसी समय उसकी तबीयत गुमला कारागार में खराब हो गई थी, तभी उसे रांची केंद्रीय कारागर में शिफ्ट कर दिया गया। यहां एम्स के डॉक्टरों के परामर्श के अनुसार उसका इलाज चल रहा था। उसके विरुद्ध गुमला और लातेहार में कई नक्सली और आपराधिक मामले दर्ज थे। इन मामलों में वह अभी विचाराधीन था।
पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम को दी थी धमकी
विकास ने वर्ष 2009 के पहले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी व पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम को धमकी दी थी कि वे लोग झारखंड आये, तो उड़ा देंगे. फिर वर्ष 2009 में हेहेगढ़ा में उसने बीडीएम ट्रेन को हाइजैक कर लिया था।
वर्ष 2008 में भंडरिया में पुलिस से हुई मुठभेड़ में वह शामिल था। वर्ष 2009 में ट्रेन हाइजैक की घटना के बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया। वर्ष 2011 में वह जमानत पर छूट कर जेल से बाहर आ गया।