रांची: आजसू पार्टी केंद्रीय प्रवक्ता डॉ देवशरण भगत ने कहा कि जेएसएससी और अन्य परीक्षाओं की क्षेत्रीय भाषाओं की सूची से भोजपुरी, अंगिका और मगही को हटाने की मांग की है।
शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में भगत ने कहा कि उत्तरी छोटानागपुर इलाके में स्थानीय युवा इन भाषाओं का विरोध कर रहे हैं।
ऐसे में राज्य के मुखिया को क्षेत्रीय भाषाओं में शामिल विषयों पर पुनर्विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस मसले पर सरकार के फैसले से असहमति जतायी।
उन्होंने कहा कि धनबाद, बोकारो जैसे जिलों में भोजपुरी, मगही को लेकर काफी आक्रोश है।
पूरे प्रदेश में कहीं भी इन भाषाओं का उद्गम स्थल नहीं है। यहां तक कि जहां इनका उद्गम स्थल है, वहां भी इन भाषाओं को इतना मान नहीं दिया गया है।
उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल, ओड़िशा जैसे राज्यों में भी इन भाषाओं को जगह नहीं दी गयी है। पिछले दिनों झारखंड आंदोलन के दौरान इन भाषाओं के मसले पर मुख्यमंत्री अपने अनुभव रख चुके हैं। ऐसे में उन्हें पुनर्विचार करना होगा।
भगत ने कहा कि पार्टी भोजपुरी, अंगिका जैसी भाषाओं को क्षेत्रीय भाषाओं की सूची से हटाये जाने को सरकार पर दबाव बनायेगी।
25 जनवरी को आजसू पार्टी राज्य सरकार का पुतला दहन करेगी। 26 जनवरी को बिनोद बिहारी महतो के समाधि स्थल से हस्ताक्षर अभियान शुरू किया जायेगा।
वर्तमान राज्य सरकार ने 1932 के खतियान के आधार पर नियोजन, स्थानीय नीति तय करने का भरोसा दिलाया था।
पर अभी जारी परीक्षा कैलेंडर, विज्ञापनों में यहां से मैट्रिक पास युवकों को मौका दिया जा रहा है। इससे संदेह की स्थिति पैदा हो गयी है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के संरक्षण में राज्यभर में सरकारी संसाधनों, खनिज संसाधनों की लूट हो रही है।
अवैध कोयला उठाव के मसले पर सांसद खुद सड़कों पर पिछले दिनों उतरे थे। प्रशासन को सूचना दी गयी थी पर समय पर वे नहीं पहुंचे।
ऐसे में अब जब भी अवैध तरीके से खनिज संसाधनों के उठाव की खबर मिलेगी, जनप्रतिनिधि और पार्टी कार्यकर्ता संवेदनशीलता के साथ सड़क पर उतरेंगे।