पटना: प्रतिबंधित दवाओं के उत्पादन व बिक्री पर ड्रग कंट्रोलर द्वारा कार्रवाई नहीं किये जाने पर पटना हाईकोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताते हुए राज्य सरकार से जबाब-तलब किया है।
कोर्ट ने राज्य सरकार से जानना चाहा है कि आखिर प्रतिबंधित दवाएं कहां से आती हैं और उस पर रोक क्यों नहीं लगाई जाती है।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि प्रतिबंधित दवा जहर के समान है, जिसकी बिक्री और प्रचलन पर हर हाल में रोक लगना चाहिए।
राज्य सरकार को इसे गंभीरता से लेना चाहिए। सूई देकर दूध निकाला जाना आम बात है, जबकि इसके निर्माण व बिक्री पर पूरी तरह प्रतिबंध है। फिर भी यह सूई आराम से मिल रही है।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल तथा न्यायमूर्ति एस कुमार की खंडपीठ ने मामले पर सुनवाई की। कोर्ट ने राज्य सरकार को यह बताने को कहा कि इन प्रतिबंधित दवाओं का उत्पादन व बिक्री कैसे हो रही है।
अधिवक्ता मयूरी ने कोर्ट को बताया कि बहुत सारी ऐसी दवाएं हैं, जिसके निर्माण व बिक्री पर केंद्र सरकार ने वर्ष 2011 में ही प्रतिबंध लगा दिया है।
बावजूद इसके राज्य में इन प्रतिबंधित दवाओं का निर्माण व बिक्री धड़ल्ले से हो रहा है लेकिन संबंधित विभाग के जिम्मेदार अधिकारी का ध्यान इस ओर नहीं जाता है।
कोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को दोषी अधिकारियों के विरुद्ध की गई कार्रवाई का ब्यौरा भी अगली सुनवाई में पेश करने का आदेश दिया।