लंदन: आमतौर लोगों का मानना होता है कि इंसानों की मौत एचआईवी या मलेरिया जैसे खतरनाक संक्रमण से होता है।
लेकन इस अध्ययन ने यह नजरिया बदलने पर मजबूर कर दिया है। एंटीमाइक्रोबियल रजिस्टेंस तब होता है जब संक्रमण फैलाने में सक्षम बैक्टीरिया, वायरस, फफूंद और परजीवी समय के साथ बदलते हैं और उन पर दवाओं का असर नहीं होता है इससे संक्रमण का इलाज मुश्किल हो जाता है और बीमारी के फैलने, गंभीर होने और मौत होने का जोखिम बढ़ जाता है।
ताजा अध्ययन में कहा गया है कि एएमआर से हर व्यक्ति को खतरा है, लेकिन आंकड़े दिखाते हैं कि युवा बच्चों में इसका खास तौर पर प्रभाव पड़ रहा है।
अध्ययन में इस बात को रेखांकित किया गया है कि पूरी दुनिया में एएमआर मौत की प्रमुख वजह हो गई है। यहां तक कि इस मामले में यह एचआईवी/एड्स और मलेरिया से भी ज्यादा आगे निगल गया है।
इस अध्ययन साल 2019 में किया गया था जिसमें पाया गया कि 49.5 लाख लोगों की मौत की वजह कम से कम एक दवा रोधक संक्रमण थी और एएमआर सीथे 12.7 लाख लोगों की मौत की वजह बना।
वहीं बच्चों में एएमआर की वजह से 5 साल से कम उम्र के बच्चों में पांच में से एक मौत ऐसी थी जिनका पहले इलाज हो सकने वाले संक्रमण से हुई थी।
इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक एंड इवेल्यूएशन के डायरेक्टर और इस अध्ययन के सह लेखक प्रोफेसर क्रिस मुरे ने बताया, “यह शोधपत्र वह अहम कदम है जससे हमें यह पता लग रहा है कि चुनौती की पूरा स्वरूप कितना बड़ा है।
अब हमें इन आंकलनों को उपयोग कारगर कदम उठाने लिए करना होगा। और नवचार से बचाव के नए तरीके खोजने होंगे अगर हमें एएमआर की दौड़ में आगे रहना चाहते हैं तो। इस शोध में 204 देशों में लोगों का अध्ययन किया गया जिसमें 47.1 लाख लोगों के रिकॉर्ड थे।
इसमें बताया गया है कि हमें प्रभावी वैक्सीन, दवाओं और इलाज के लिए पर्याप्त तेजी से नए उपाय विकसित नहीं कर पा रहे हैं।
1980 से 2000 के बीच केवल 63 ही नई एंटीबायोटिक दवाओं को इलाज के लिए उपयोग में लाने के लिए अनुमति दी गई, जो 2000 से 20018 तक केवल 15 ही रह गई।
उप सहारा अफ्रीका पर इस मामले में सबसे ज्यादा बोझ है, जहां केवल एक ही साल में एएमआर की वजह से 2.55 लाख मौतें हुई हैं।
वहीं उच्च आय वाले देशों में ही हालात चेताने वाले ही हैं जहां एशेरिकिया कोलाए या ई कोलाए बैक्टीरया संक्रमण जो गुर्दे को प्रभावित करता है और खून को संक्रमित करने वाले स्टैफिलोकॉकस ऑरियस जो लोगों को अस्पताल ही पहुंचा देता है, मौत की सामान्य वजह बनते जा रहे हैं।
इसानों के लिए एएमआर पहले ही एक बहुत बड़ी चुनौती बन गया है। मौत की संख्या से ज्यादा वे मरने वालों के परिवार और समुदाय के लोग हैं जो खामोश एएमआर महामारी का दंश झेल रहे हैं। इसमें भी चिंता की बात यह है कि एएमआर में बीमारियों और संक्रमण की सूची बढ़ती जा रही है।