रांचीः राजधानी रांची में गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर के वंशज की जमीन कब्जाने के मामले में चैंकाने वाला खुलासा हुआ है।
दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडलीय आयुक्त नितिन मदन कुलकर्णी के निर्देश पर गठित जिला प्रशासन की दो सदस्यीय जांच कमिटी ने रिपोर्ट सौंप दी है, जिसमें तत्कालीन सीओ व राजस्व कर्मी दोषी पाए गए हैं।
मामले में जांच कमिटी द्वारा आयुक्त को रिपोर्ट सौंपी गई है, जिसके बाद आयुक्त ने संबंधित विभाग को जांच रिपोर्ट भेज दी है। अब कार्रवाई का इंतजार है।
हेमेन्द्र टैगोर ने आयुक्त से हस्तक्षेप की मांग की थी
दरअसल, रवीन्द्रनाथ टैगोर के वंशज हेमेंद्रनाथ टैगोर ने प्रमंडलीय आयुक्त नितिन मदन कुलकर्णी को पत्र लिखकर मामले में हस्तक्षेप कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने का अनुरोध किया था, जिसे गंभीरता से लेते हुए आयुक्त ने दो सदस्यीय जांच कमेटी गठित कर पूरे मामले की जांच करके रिपोर्ट मांगी थी।
मामले में जमीन से संबंधित दस्तावेज में छेड़छाड़ की शिकायत की गई थी। ऑफलाइन पंजी.टू में भी वंशजों के नाम में हेराफेरी की गई है।
यह है मामला
मामला सदर थाना क्षेत्र के बड़गाई अंचल के खाता नंबर 161 के प्लाट नंबर 764 का है, जिसकी 5ण्12 एकड़ जमीन पर दूसरे लोग दावेदारी कर रहे हैं।
1908 और 1929 में यह जमीन रवींद्रनाथ टैगोर के भाई हेमेंद्रनाथ टैगोर की बहू सरोजनी देवी ने खरीदी थी। 1932 के खतियान में भी सरोजनी देवी के इकलौते पोते हीरेंद्रनाथ टैगोर के नाम से यह संपत्ति है।
वर्तमान में यह संपत्ति सरोजनी देवी के वंशज हेमेंद्रनाथ टैगोर के अधीन है। लेकिन परिजनों का आरोप है कि 1932 के खतियान में छेड़छाड़ कर किसी सुनंदो टैगोर ने इस पर अपनी दावेदार जताई है, जो कि गलत है।
क्या है टैगोर परिवार का आरोप
रविन्द्रनाथ टैगोर के वंशज और याचिकाकर्ता हेमेंद्रनाथ टैगोर की पत्नी नीता टैगोर ने बताया कि सुनंदो टैगोर को वो जानती तक नहीं है।
उन्होंने बताया कि जमीन पर वे लोग ही कई सालों से मालगुजारी भरते आ रहे हैं। इसी बीच किसी ने खतियान में नाम से छेड़छाड़ करके अपनी दावेदारी कर दी है।