रांचीः विश्व में सबसे लंबे समय तक प्राइमरी स्कूलों को बंद रखने का झारखंड में रिकॉर्ड बन गया है। अब तो यूगांडा में भी स्कूल खोल दिए गए हैं।
वहीं, 40 हजार दर्शकों की मौजूदगी में क्रिकेट मैच कराया जा सकता है तो फिर बच्चों के लिए स्कूल क्यों नहीं खोले जा सकते हैं।
ये बातें प्रख्यात अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज ने सीएम हेमंत सोरेन के समक्ष कही है। वह प्री.बजट 2022-23 की बैठक के दौरान ऑनलाइन जुड़कर सीएम के समक्ष स्कूली शिक्षा में हुए नुकसान पर के बारे में बता रहे थे।
कोरोना के बाद आर्थिक संकट चला जाएगा पर बच्चों की पढ़ाई में हुए नुकसान का क्या
ज्यां द्रेज ने बच्चों की पढ़ाई में हुए नुकसान की भरपाई के लिए बजट में अलग से प्रावधान किए जाने की वकालत भी की। कहा की कोरोना के जाने पर आर्थिक संकट भी चला जाएगा, लेकिन बच्चों को जो नुकसान हुआ है, उससे उनके भविष्य पर संकट गहरा गया है।
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के अभाव में बच्चों का भविष्य मजदूरी और शोषण की गिरफ्त में चला जाएगा। स्कूल बंद होने से बच्चों के स्वास्थ्य, पोषण पर भी बुरा असर पड़ा है, क्योंकि मिड डे मील योजना का लाभ नहीं मिल रहा है।
आजादी के पहले वाले लेवल में शिक्षा के जाने की आशंका
ज्यां द्रेज ने बीते वर्ष अगस्त के दौरान राज्य के लातेहार, गुमला के करीब 400 घरों में खुद किए सर्वे के आधार पर कहा कि बच्चों की शिक्षा आजादी के पहले वाले स्तर में जाने की आशंका है।
सर्वे के दौरान सुदूर गांवों के करीब आधे बच्चे क, ख, घ या साधारण सी पंक्तियां पढ़ने में भी असमर्थ दिखे। शिक्षक के पास अपनी सीमाएं हैं और वो भी स्कूल खुलने पर थोड़े तेज बच्चों पर ही केंद्रित रह जाएंगे।
कमजोर बच्चों के लिए आने वाला वक्त बहुत मुश्किल भरा होने वाला है। इन स्थितियों को मद्देनजर रखते हुए उन्होंने राज्य में लिटरेसी कैंपेन चलाने की वकालत की।