काबुल: अफगानिस्तान में पिछले साल 15 अगस्त को तालिबान की वापसी के बाद सब कुछ बदल गया है। आर्थिक हालात हर दिन के साथ बदतर होते जा रहे हैं। मीडिया के अधिकांश संस्थान तालिबान राज में दम तोड़ रहे हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले छह माह में 300 से अधिक मीडिया संस्थान अपना बोरिया बिस्तरा समेट चुके हैं। करीब 73 फीसदी महिला पत्रकारों की नौकरी जा चुकी है।
तालिबान के सत्ता संभालने के बाद एक तरफ जहां महिलाओं के मौलिक अधिकारों को दबाया गया तो वहीं दूसरी तरफ देश में मीडिया और पत्रकारों ने अपनी स्वतंत्रता खो दी है।
तालिबान शासन में अफगान के हालात दिन-ब-दिन बिगड़ते जा रहे हैं। महामारी, आर्थिक संकट, सूखे -भुखमरी के साथ-साथ देश ढेरों परेशानियों से जूझ रहा है।
अभी भी तालिबान सरकार की दहशतगर्दी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। एक रिपोर्ट के मुताबिक अफगानिस्तान के 34 प्रांतों में से 33 में कम से कम 318 मीडिया आउटलेट को बंद कर दिया गया है।
इंटरनेशनल फेडरेशन आफ जर्नलिस्ट्स (आईएफजे) ने गुरुवार को एक रिपोर्ट जारी कर कहा कि 51 टीवी स्टेशनों, 132 रेडियो स्टेशनों और 49 आनलाइन मीडिया आउटलेट्स ने अपना संचालन बंद कर दिया है।
संकट के समय में समाचार पत्रों पर सबसे ज्यादा असर पड़ा है, जिसमें 114 में से केवल 20 समाचार पत्रों ने अपना प्रकाशन जारी रखा है।
आईएफजे ने कहा कि 5069 में केवल 2,334 पत्रकार फिलहाल कार्यरत हैं। नौकरी गंवाने वाले पत्रकारों में 72 फीसदी महिलाएं शामिल हैं। आइएफजे की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘मीडिया द्वारा अभी भी 243 महिलाओं को रोजगार दिया जाता है।’
आईएफजे महासचिव एंथोनी बेलांगर ने कहा कि खतरों से लेकर कठोर रिपोर्टिंग प्रतिबंधों और आर्थिक पतन से लेकर विकास निधि को वापस लेने तक की तस्वीर न केवल उन पत्रकारों के लिए विनाशकारी है, जो अपनी नौकरी खो चुके हैं या भागने के लिए मजबूर हो गए हैं बल्कि उन नागरिकों के लिए भी, जिन्हें सूचना की पहुंच से वंचित किया जा रहा है।
अफगान इंडिपेंडेंट जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन के प्रमुख हुजतुल्लाह मुजादीदी ने कहा कि अफगान मीडिया समुदाय ने तालिबान से मीडिया को सूचना तक पहुंच बनाने में मदद करने का आह्वान किया है।