नई दिल्ली: हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों का मानना है कि नहाने की एक साधारण सी आदत को अपनाने से स्ट्रोक जैसे गंभीर खतरे से बचा जा सकता है।
यह आदत बेहद सरल है और इसे अपनाने के लिए आपको किसी खास उपकरण की जरूरत भी नहीं पड़ेगी। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों के अनुसार, टब में गर्म पानी भरकर नहाने से ब्लड वेसेल्स को बढ़ाने में मदद मिलती है।
दरअसल, एक गर्म पानी के टब में शरीर में पानी के दबाव के कारण हृदय द्वारा पंप किए जाने वाले ब्लड की मात्रा भी बढ़ जाती है, जिससे दिल भी अच्छे से काम करता है।
एक स्टडी के अनुसार, जो लोग हर दिन नहाते थे, उनमें हदय रोग का जोखिम 28 प्रतिशत कम देखने को मिला। स्टडी में यह भी पता चला कि हर दिन नहाने से स्ट्रोक का रिस्क 26 प्रतिशत तक कम हो जाता है।
बता दें कि यह स्टडी 30 हजार लोगों पर की गई थी।हार्वर्ड रिसर्चर्स ने अपने स्टडी में सौना या फिर नहाने का क्या प्रभाव होता है इसका पता लगाया।
इससे पहले स्टडीज ने ब्लड प्रेशर को कम करने के लिए सप्ताह में 4 से 7 बार नहाने के उपयोग को शामिल किया था।
2018 में फिन्निश सौना यूजर्स पर हुई स्टडी में लेखकों ने पाया कि नहाने से ब्लड वेसेल्स ठीक से काम करने लगे, सूजन में कमी आई और बैड कोलेस्टॉल हेल्दी कोलेस्ट्रॉल में बदल गया।
विशेषज्ञ कहते हैं कि नहाना सभी के लिए जरूरी है। लेकिन, ये जरूरी नहीं कि सभी को इसके एक जैसे लाभ मिलें। सीने में दर्द से ग्रसित लोगों, दिल की समस्या वाले लोगों और अनकंट्रोल्ड ब्लड प्रेशर के रोगियों के लिए इस आदत को अपनाना रिस्की है।
विशेषज्ञों ने 70 और इससे ज्यादा उम्र के लो ब्लड प्रेशर वाले लोगों को ज्यादा सावधानी बरतने की सलाह दी है। कुल मिलाकर किसी व्यक्ति के स्ट्रोक जोखिम पर नहाने का सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
यदि इस स्थिति को अनुपचारित छोड़ दिया जाए, तो किसी व्यक्ति के लिए यह घातक हो सकता है। इससे मुंह का एक तरफ लटक जाना दोनों हाथ उठाने में दिक्कत होना और अस्पष्ट रूप से बोलने और समझने की क्षमता कम हो जाने जैसे लक्षण के विकसित होने की संभावना बढ़ जाती है।
एक्सपटर्स की माने तो स्ट्रोक एक ऐसी स्थिति है, जब मस्तिष्क के किसी हिस्से में ब्लड और ऑक्सीजन की आपूर्ति रुक जाती है और मस्तिष्क की कोशिकाओं के आसपास की जगह पर खून भर जाता है।
ऐसा खून के थक्के या हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल के कारण धमनियों में रूकावट के कारण होता है। मास्तिष्क में ब्लड फ्लो में कमी मास्तिष्क के भीतर के ऊतकों को नुकसान पहुंचाती है।
स्ट्रोक होने पर अक्सर हाथ-पैरों में सुन्नता, दूसरे को बोलने या समझने में परेशानी होना, अचानक व्यवहार का बदल जाना , सिर चकराना जैसे कई लक्षण दिखाई देते हैं। वैसे स्ट्रोक के लिए और भी कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं।