नई दिल्ली: उच्चत्तम न्यायालय ने फ्यूचर ग्रुप से कहा है कि वह रिलायंस रिटेल वेंचर लिमिटेड से साथ हुए 27,513 करोड़ रुपए के सौदे की फिर नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूूनल (एनएलसीटी) में सुनवाई के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय में जा सकता है।
गौरतलब है कि फ्यूचर रिटेल लिमिटेड (एफआरएल)के रिलायंस रिटेल वेंचर लिमिटेड से साथ हुए 27,513 करोड़ रुपए के विलय सौदे में कानूनी विवाद चल रहा है।
मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली और न्यायाधीश एएस बोपन्ना और न्यायाधीश हेमा कोहली की पीठ ने कहा हम एफआरएल को 8 वें चरण (शेयरधारकों और लेनदारों की बैठक) से परे एनसीएलटी की कार्यवाही जारी रखने के लिए एक आवेदन दायर करके उच्च न्यायालय जाने की अनुमति देते हैं।
इसने उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश को इस संबंध में दोनों पक्षों द्वारा उठाए गए सभी तर्कों पर विचार करने और क्रम संख्या 8 में उल्लिखित चरण से परे एनसीएलटी की कार्यवाही जारी रखने के लिए उचित आदेश पारित करने को कहा है।
इसमें यह भी कहा गया है कि वह शीर्ष अदालत की टिप्पणी से प्रभावित हुए बिना और अन्य नियामक अनुमोदनों को शीघ्रता से पारित करे करे।
योजना के अंतिम अनुमोदन के लिए 15 चरण हैं।
फ्यूचर रिटेल के अधिवक्ता हरीश साल्वे ने तर्क दिया कि एनसीएलटी के समक्ष कार्यवाही क्रम संख्या आठ (शेयरधारकों और लेनदारों की बैठक) में सूचीबद्ध चरण में पहुंच गई है।
उन्होंने कहा कि उनका मुवक्किल हर रोज खर्च कर रहा है और इससे उसके दिवालिया होने का खतरा है और एनसीएलटी के समक्ष कार्यवाही में किसी भी तरह की देरी के गंभीर परिणाम होंगे जो एफआरएल-रिलायंस समूह के बीच समझौते को निर्थक बना देंगे।
उन्होंने कहा कि एफआरएल के 22,000 कर्मचारियों की आजीविका भी दांव पर है और एनएलसीटी की कार्यवाही जारी रहने से अमेजन पर किसी भी तरह से प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।
अमेजन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रमण्यम ने कहा कि अब तक एफआरएल ने आपातकालीन मध्यस्थ के आदेश के साथ-साथ दिल्ली उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश द्वारा पारित आदेश के उल्लंघन में एनसीएलटी की कार्यवाही की है।
फ्यूचर कूपन प्राइवेट लिमिटेड की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने तर्क दिया कि भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने अमेजन-एएफसीपीएल प्रारंभिक शेयर खरीद को रद्द कर दिया है, जो प्रभावी रूप से मध्यस्थता को रद्द करता है।
उन्होंने कहा कि ये तथ्य कार्यवाही की निरंतरता पर असर डालते हैं जिन पर विचार किए जाने की जरूरत है। वह उच्च न्यायालय के समक्ष उपरोक्त विचार पर बहस करने के इच्छुक हैं।
अमेजन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अस्पी चिनॉय ने कहा कि एफआरएल और एफसीपीएल किसी अंतरिम राहत के हकदार नहीं हैं क्योंकि उन्होंने आपातकालीन मध्यस्थ के प्रारंभिक आदेश को चुनौती नहीं दी है, जो उन पर बाध्यकारी है।
साल्वे ने कहा कि सभी 15 चरणों को पूरा करने में छह से आठ महीने लगेंगे और इसके बाद ही एनसीएलटी द्वारा अंतिम योजना को मंजूरी दी जाएगी।
इसके पश्चात एफआरएल की खुदरा संपत्ति अलग हो जाएगी। उन्होंने कहा कि जब तक एनसीएलटी की मंजूरी का अंतिम आदेश पारित नहीं किया जाता है, तब तक अमेजन के साथ किसी तरह का कोई पक्षपात नहीं किया जाएगा।
उच्चत्तम न्यायालय ने फ्यूचर की याचिका पर आदेश सुरक्षित रख लिया कि क्या रिलायंस के साथ उसके सौदे के संबंध में एनसीएलटी की कार्यवाही को जारी रखने और योजना के चरणों के साथ आगे बढ़ने की अनुमति दी जा सकती है।