कोलकाता: पश्चिम बंगाल में ग्रुप-डी भर्ती मामले में ‘नाटकीय’ मोड़ आया है। मंगलवार को कलकत्ता हाई कोर्ट ने ग्रुप-डी भर्ती मामले की जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंप दिया है।
न्यायमूर्ति अभिजीत गांगुली की एकल पीठ ने न्यायमूर्ति आरके बाग की अध्यक्षता में गठित जांच समिति को भंग कर दिया।
हाईकोर्ट ने कहा कि ग्रुप डी भर्ती में पैसों का लेनदेन हुआ है या नहीं इसकी सख्ती से जांच होनी चाहिए। अदालत ने केंद्रीय खुफिया एजेंसी को 18 मार्च तक प्रारंभिक रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया।
राज्य के महाधिवक्ता ने स्टे का अनुरोध किया लेकिन इसे जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय की सिंगल बेंच ने खारिज कर दिया।
अदालत ने निर्देश दिया कि आज ही सीबीआई के निदेशक जांच समिति के अध्यक्ष सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति रंजीत कुमार बाग से संपर्क कर सभी दस्तावेज एकत्र करेंगे।
कल सुबह सीबीआई कोर्ट को बताएगी कि आज के निर्देश के आलोक में उन्होंने क्या किया है। यदि सीबीआई के निदेशक आज रात 9 बजे तक आदेश पर अमल नहीं कर पाते हैं तो वह कल सुबह 8 बजे से 10 बजे के बीच जांच समिति के अध्यक्ष से मिलेंगे और सभी दस्तावेज एकत्र करेंगे।
इसके अलावा, यदि आवश्यकता हुई तो जांच समिति के कार्यालय के बाहर सीआरपीएफ की तैनाती की जाएगी।
उल्लेखनीय है कि इसके पहले भी हाईकोर्ट ने इस मामले की सीबीआई जांच का आदेश दिया था लेकिन खंडपीठ ने उसे खारिज कर सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक जांच समिति का गठन किया था जिसे आज एकल पीठ ने भंग कर दिया।
ग्रुप डी में 300 से अधिक पदों पर गैरकानूनी तरीके से नियुक्तियां हुई हैं। नियुक्ति बोर्ड भंग हो जाने के बावजूद भी उसकी सिफारिश पर नियुक्तियां होती रही इसलिए इसमें बड़े पैमाने पर धांधली के आरोप हैं।